औरंगजेब मुगल सल्तनत के छठवे बादशाह थे, जिन्होंने 49 सालों तक भारत पर राज किया. हालांकि अपने आखिरी समय में औरंगजेब दिल्ली को छोड़कर दक्षिण भार चले गए थे. फिर इसके बाद वो कभी दिल्ली नहींं लौटे और आखिरी सांस भी दक्षिण भारत में ही ली. उनके साथ हजारों लोगों का काफिला भी दक्षिण भारत गया था. वो लोग भी वहींं बस गए, उनके साथ उनका हरम भी था, हालांकि आखिरी वक्त उन्होंने अपने सबसे छोटे बेटे की मां के साथ ही बिताया.

औरंगजेब को आखिरी वक्त में हमेशा खली एक चीज की कमीऔरंगजेब ने अपनी किताब 'रुकात-ए-आलमगीरी', जिसका अनुवाद जमशीद बिलिमोरिया ने किया है, में लिखते हैं कि दक्षिण भारत में उन्हें सबसे ज्यादा आमों की कमी महसूस होती थी. बता दें कि बाबर से लेकर सभी मुगल बादशाह आमों के बहुत शौकीन हुआ करते थे. किताब में ट्रस्चके लिखती हैं कि औरंगजेब अपने दरबारियों से अक्सर फरमाइश किया करते थे कि उन्हें उत्तर भारत के आम भेजे जाएं. वो आमों के बहुत ही शौकीन थे. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उन्होंनेे कुछ आमों के नाम बदलकर उन्होंंने सुधारस और रसनाबिलास जैसे हिंदी नाम भी रखे थे.

औरंगजेब का कैसा था आखिरी वक्तऔरंगजेब आखिरी वक्त में लगभग 25 वर्ष दक्षिण भारत में ही रहे. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने ये वक्त एक गानेवाली उदयपुरी के साथ बिताया. उदयपुरी उनके सबसे छोटे बेटे की मां भी हुआ करती थीं. 

अपनी मृत्युशय्या से अपने छोटे बेटे कामबख्श को पत्र लिखकर औरंगजेब ने ये जानकारी दी थी कि उनके आखिरी समय में उदयपुरी उनके साथ रह रही हैं और उनकी मौत में भी उनके ही साथ होंगी. बता दें कि 1707 में औरंगजेब की मौत हुई और उसके कुछ ही महीनों बाद उदयपुरी ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया था.                      

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