3000 Year Old Passageway: पुरातत्वविदों ने पेरू में तीन हजार साल पुराने एक बंद गलियारे की खोज की है, कोंडोर पक्षी से जुड़ा होने के कारण इसे कॉन्डर्स पैसेजवे कहा जा रहा है. यह गलियारा पेरू की प्राचीन चाविन संस्कृति के एक मंदिर के परिसर में मिला है जो मंदिर को दूसरे कमरों से जोड़ता है.


पेरू की राजधानी लीमा से लगभग तीन सौ किलोमीटर दूर उत्तर-पूर्व में पुरातत्व स्थल चाविन डी हुआनतार मौजूद है. चाविन संस्कृति भारत की वैदिक संस्कृति जितनी ही पुरानी है और लगभग 1,500 से 550 ईसा पूर्व विकसित हुई थी. यूनेस्को ने 1985 में चाविन डी हुआनतार को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था. चाविन संस्कृति अपनी उन्नत कला के लिए प्रसिद्ध हैं, जिसमें पक्षियों और बिल्लियों के चित्र बनाए जाते हैं. चाविन की मौजूदा खोज मंदिर के दक्षिणी हिस्से के अंदर एक गलियारे पर आधारित हैं.


इस गलियारे में कोंडोर पक्षी के सिर, पंखों के साथ चीनी मिट्टी के टुकड़े भी मिले हैं. विशाल शिकारी पक्षियों में से एक, कोंडोर, प्राचीन एंडियन संस्कृति में ताकत और संपन्नता का प्रतीक था. पुरातत्वविदों का मानना है कि गलियारे के स्ट्रक्चर में खामी के कारण जानमाल को होने वाले नुकसान की आशंका को ध्यान में रखते हुए इसे बंद कर सील कर दिया गया था. यह गलियारा चाविन संस्कृति की प्रारंभिक अवस्था की तस्वीर पेश करता है.


पुरातत्वविदों को गलियारे में क्या मिला


पुरातत्वविद् जॉन रिक के मुताबिक गलियारे का प्रवेश द्वार खोले जाने पर उन्हें 17 किलोग्राम वजन का सिरेमिक का एक टुकड़ा, कोंडोर पक्षी के सिर और पंखों के अलावा अलग-अलग रास्ते और छतें भी मिली हैं. रिक ने कहा है कि मंदिर परिसर की ज्यादातर खुदाई अभी बाकी है.


रोबोटिक कैमरों की ली गई मदद


कॉन्डर्स पैसेजवे की खोज रिक की टीम ने रोबोट पर लगे कैमरों की मदद से की. रिक को डर था कि अगर उन्होंने कोई और रास्ता अपनाया तो इससे प्राचीन वास्तुकला को नुकसान पहुंच सकता है. रोबोट में लगे कैमरों की मदद से उनका काम किसी हद तक आसान हो गया और जोखिम की संभावना ना के बराबर रह गई.


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