एस्ट्रोनॉट्स की जिंदगी उतनी आसान नहीं होती है, जितनी फिल्मों में दिखाई जाती है. उदाहरण के तौर पर हम भारतीय मूल की एस्ट्रोनॉट्स सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर की स्टोरी को देख सकते हैं, सुनीता और उनका साथी पिछले साल जून 2024 को सिर्फ 8 दिनों के मिशन के लिए अंतरिक्ष में गए थे, लेकिन उन्हें आते आते 256 दिन लग गए.  248 दिन जो एक्स्ट्रा उन्होंने स्पेस में गुजारे वह उनके लिए काफी दर्दनाक रहा, क्योंकि उनके मिशन का पूरा फोकस सिर्फ 8 दिनों तक का ही था. उसके बाद वहां रहना, भोजन और बाकी जरूरतों को मैनेज करना उनके लिए किसी बुरे दौर से कम नहीं था.

इसके अलावा जब 18 मार्च 2025 सुनीता और उनका साथ एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स के स्पेसक्रॉफ्ट ड्रैगन कैप्सूल से वापस आए तो उनको जीरो ग्रैवेटी वाली जगह पर रखा गया, ताकि वह दोबारा ग्रैवेटी वाली जगह जाएं तो उनका शरीर इसके लिए एडजस्ट कर ले. चलिए, आपको बताते हैं कि धरती से कनेक्शन कटने के बाद इंटरनेशनल स्पेस सेंटर पर कोई एस्ट्रोनॉट्स कितने दिनों तक जिंदा रह सकता है. 

एस्ट्रोनॉट्स के लिए आपातकालीन सुविधाएं

अंतरिक्ष में जब भी कोई मिशन भेजा जाता है तो कई चीजों का खास ख्याल रखा जाता है. जैसे कि खाना-पानी की स्टोरेज क्षमता, ISS पर लगी Life Support Systems, CO₂ फिल्टर, ऑक्सीजन जनरेटर और यूरिन रीसायक्लिंग सिस्टम... मिशन में बैकअप स्टॉक रखा जाता है कि आपातकाल स्थिति से निपटा जा सके. सामान्यता यह कहा जा सकता है कि स्पेस एजेंसी पूरी तरह अपने एस्ट्रोनॉट्स को सुरक्षित लाने का प्रयास करती है.   

कितने दिनों तक जिंदा रह सकते हैं?

आमतौर पर 300 दिनों तक अंतरिक्ष में रहना संभव है. इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, अब तक ज्यादातर जितने भी एस्ट्रोनॉट्स ISS पर गए हैं, वे सभी सही सलामत लौटे हैं. इसको लेकर उच्च मानकों का पालन किया जाता है कि एस्ट्रोनॉट्स को सुरक्षित लाया जा सके. हालांकि कुछ मिशन फेल हुए हैं, जिसमें एस्ट्रोनॉट्स ने जान गंवाई है. 

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