मेरे प्यारे मम्मी-पापा, मेरी सारी दुनिया बस आप दोनों में ही समाई है. भगवान से बढ़कर हैं आप आपका दिया कोई भी आदेश. आप हैं तो सबकुछ है मेरे पापा. मुझे सिर्फ आपका विश्वास और प्यार चाहिए ना कि कुछ और. पापा आप नहीं होते तो ये ना तो पार्टी होती और ना मेरे साथ राजनीतिक करने वाले कुछ जयचंद जैसे लालची लोग. बस मम्मी-पापा आप दोनों स्वस्थ्य और खुश रहें हमेशा.
मेरे अर्जुन से मुझे अलग करने का सपना देखने वालों, तुम कभी अपनी साजिशों में सफल नही हो सकोगे. कृष्ण की सेना तो तुम ले सकते हो लेकिन खुद कृष्ण को नहीं. हर साजिश को जल्द बेनकाब करूंगा, बस मेरे भाई भरोसा रखना. मैं हर परिस्थिति में तुम्हारे साथ हूं, फिलहाल दूर हूं लेकिन मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ था और रहेगा. मेरे भाई मम्मी-पापा का ख्याल रखना, जयचंद हर जगह हैं अंदर भी और बाहर भी.
लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और बिहार के पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव ने आरजेडी (RJD) से निकाले जाने के बाद ये दो ट्वीट किए थे. पहला ट्वीट अपने माता-पिता यानी लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के लिए और दूसरा छोटे भाई तेजस्वी यादव के लिए. खास बात यह है कि दोनों ही ट्वीट में तेज प्रताप यादव ने जयचंद का जिक्र किया. उनका इशारा पार्टी के भीतर और बाहर मौजूदा गद्दारों की तरफ था. दरअसल, जयचंद की तुलना गद्दार से ही की जाती है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि ये जयचंद कौन था और उसकी तुलना गद्दार से क्यों की जाने लगी?
कौन था जयचंद?
राजा जयचंद कन्नौज के राजा था. वह गढ़वाल जाति से थे और उनके पिता का नाम विजय चंद्र और दादा का नाम गोविंद्र चंद्र था. राजा जयचंद ने कन्नौज पर 1170 से लेकर 1194 तक शासन किया. उनके दो बच्चे थे, जिसमें बेटा हरिश्चंद्र और बेटी संयोगिता थी. इन्हीं संयोगिता की आगे चलकर पृथ्वीराज चौहान से शादी हुई थी, जिसके चलते पृथ्वीराज चौहान और जयचंद के बीच दुश्मनी का अध्याय भी शुरू हुआ था.
क्यों कहा जाता है जयचंद को गद्दार?
आज गद्दार की तुलना जयचंद से की जाती है. यानी किसी को सीधे गद्दार न कहकर जयचंद कह दिया जाए तो भी उसे गाली ही समझा जाता है. इस कहानी की शुरुआत भी पृथ्वीराज चौहान और राजा जयचंद के बीच दुश्मनी से शुरू हुई. दरअसल, पृथ्वीराज ने जिस तरह उनकी बेटी संयोगिता से शादी की थी, उससे जयचंद के साथ कई राजपूत राजा उनसे नाखुश थे. जयचंद ने इसका बदला लेने के लिए कई बार पृथ्वीराज चौहान पर आक्रमण किया, लेकिन उन्हें हार ही मिली. इसके बाद जयचंद ने पृथ्वीराज चौहान के कट्टर दुश्मन मोहम्मद गौरी से हाथ मिलाया और अपनी सेना उसे दे दी. इस सेना की मदद से मोहम्मद गौरी ने तराइन के दूसरे युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को हरा दिया. इससे पहले पृथ्वीराज चौहाने ने 13 बार मोहम्मद गोरी को हराया था और हर बार उसे माफ करके जीवनदान दिया था. जयचंद के धोखे के कारण पृथ्वीराज की हार हुई, जिस कारण उन्हें गद्दार कहा जाने लगा. हालांकि, इतिहासकारों में इसको लेकर मतभेद भी है.
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