Suicide Point Of Birds: कानून की नजर में आत्महत्या को अपराध माना जाता है, लेकिन फिर भी न जानें कितने लोग आत्महत्या करके अपनी जिंदगी खत्म लेते हैं. हालांकि इस लिस्ट में सिर्फ इंसान नहीं बल्कि पक्षी भी शामिल हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर यह हम क्या कह रहे हैं. ऐसा कहां होता है कि कोई पक्षी आत्महत्या कर ले. लेकिन ऐसा होता है, वह भी भारत में. भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य असम में एक ऐसी जगह है, जहां हर साल हजारों की तादात में पक्षी आत्महत्या के लिए आते हैं. 

किसे कहते हैं चिड़ियों के लिए वैली ऑफ डेथ

असम के डिमा हसाओ जिले में एक गांव है जटिंगा, यहां पक्षियों की आत्महत्या के इतने मामले सामने आए हैं कि अब लोग इसे चिड़ियों के लिए वैली ऑफ डेथ के नाम से भी जानते हैं. यह गांव असम के गुवाहाटी से करीब 330 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है. इस जगह से यहां का नजदीकी शहर हाफलॉन्ग टाउन है, जो कि 9 किलोमीटर दूरी पर है. इस गांव के बारे में यह बहुत मशहूर है कि यहां हजारों की तादात में पक्षी आत्महत्या के लिए आते हैं. इस गांव में खासी-पनार जनजाति के लोग रहते हैं.

इस वक्त आत्महत्या करते हैं पक्षी

पक्षियों की आत्महत्या का मामला कुछ प्राकृतिक घटना की तरह देखा जाता है, क्योंकि इसके बारे में आज तक कोई भी सही बात बता नहीं पाया है. इतना ही नहीं वैज्ञानिक भी इस मामले की खोज में लगे हुए हैं, लेकिन अभी कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है. यहां पर सिर्फ प्रवासी पक्षी ही नहीं, बल्कि स्थानीय पक्षी भी आत्महत्या कर लेते हैं. यह सिलसिला सितंबर से नवंबर के बीच शाम को 6 बजे से रात के करीब 10 बजे तक देखा जा सकता है. यहां के स्थानीय लोग भी इन पक्षियों को परेशान नहीं करते हैं.

क्यों होने लगता है ऐसा

दरअसल मानसून के बाद जब सितंबर से नवंबर का महीना आता है तो शाम में जल्दी अंधेरा होने लगता है. यही वक्त चिड़ियों के आत्महत्या का होता है. ऊंची-ऊंची पहाड़ियों से घिरे जाटिंगा में जल्दी अंधेरा होने लगता है. इस दौरान हवा का दबाव ज्यादा होता है और पूरे इलाके में गहरी धुंध पसर जाती है. जानकार मानते हैं कि पक्षियों की आत्महत्या का एक कारण यह भी हो सकता है कि उनकों अंधेरे में दिखाई नहीं देता हो और किसी चीज से टकराकर मर जाते हैं. लेकिन यहां आत्महत्या करने वाले ज्यादातर पक्षी अवस्क ही हैं.