Bulldozer: आपने अक्सर सड़कों पर बुलडोजर खड़े हुए देखे होंगे. जहां कहीं भी खुदाई का काम चल रहा होता है. वहां बुलडोजर जरूर होता है. भारत में तो लोग भी बुलडोजर की खुदाई को ऐसे देखते हैं जैसे किसी फिल्म की शूटिंग चल रही हो. बुलडोजर की खुदाई देखने के लिए भारत में लोगों की तगड़ी लाइन देखने को मिलती है. बुलडोजर के आगे एक लंबी सी लोहे की ब्लेड लगी होती है. 


जो किसी चीज को साइड में इकट्ठा करने का काम करती है. इसके साथ ही बुलडोजर में एक रिपर भी होता है. जो गड्डे खोदने के काम आता है. लेकिन बुलडोजर सिर्फ खुदाई करने के काम ही नहीं आता. बल्कि और भी कई जरूरी काम करता है. चलिए जानते हैं बुलडोजर से और क्या-क्या काम किया जाता है. 


लैंडफिल के काम भी आता है बुलडोजर


अक्सर किसी जगह को किसी सामान से भरने की जरूरत होती है. इस प्रक्रिया को लैंड फिलिंग कहा जाता है. इसके लिए बुलडोजर का इस्तेमाल किया जा सकता है. लैंडफिलिंग में बुलडोजर मिट्टी या किसी अन्य चीज से उस जगह के खालीपन को भरती है. क्योंकि अक्सर ऐसी जगहें ऊबड़ खाबड़ होती हैं. तो ऐसे में यहां अन्य साधारण मशीनें है. चल नहीं पातीं. लेकिन बुलडोजर लोहे की चेन पर चलती है. इसलिए बड़ी आसानी से असमतल जमीन पर टिक कर अच्छे से काम कर पाती है.  


निर्माण तोड़ने के काम आती है


अक्सर जब कोई पुरानी निर्माणधीन इमारत तोड़नी हो. या फिर क किसी को घर तुड़वाना हो. ऐसे में बुलडोजर बड़े काम आती है. अगर वर्कर  निर्माण को तोड़ते हैं तो उस में समय भी लगता है. और काम काफी मुश्किल भी हो जाता है. निर्माण तोड़ने के काम को बुलडोजर बड़ी ही आसानी के साथ कर सकती है. 


इन कामों भी होता है इस्तेमाल


इसके साथ ही और भी कई कामों में इसका इस्तेमाल होता है. जैसे कि खनन में भी बुलडोजर का इस्तेमाल किया जाता है. इसके साथ ही खेत में भी उसे समतल बनाने के लिए बुलडोजर काम आती है. तो वहीं इसका इस्तेमाल पेड़ों को तोड़ने के काम में भी किया जाता है. 


कई प्रकार के होते हैं बलडोजर


सड़कों पर आपको अक्सर अलग-अलग प्रकार के बुलडोजर दिख जाते होंगे. बता दें कि कुल छह प्रकार के बुलडोजर होते हैं. क्रालर बुलडोजर, पहिया बुलडोजर, शिपहाॅल्ड बुलडोजर, मल्चर बुलडोजर,हाइब्रिड बुलडोजर और मिनी बुलडोजर. यह सभी बुलडोजर अलग-अलग जरूरतों के हिसाब से काम में लाए जाते हैं. 


यह भी पढ़ें: दिल्ली में गर्मी का तांडव शुरू, क्या आप जानते हैं यहां गर्मी और ठंडी क्यों पड़ती है ज्यादा