भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हो चुका है. बीते 7 मई से दोनों देश जंग के मोर्चे पर आमने-सामने खड़े थे, हालांकि बाद में भारत और पाक ने सीजफायर की घोषणा की. हालांकि इससे पहले सोशल मीडिया पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक ट्वीट खूब वायरल हुआ है, जिसमें उन्होंने भारत-पाक के सीजफायर की जानकारी दी थी और इस तरह डोनाल्ड ट्रंप युद्ध के दौरान देशों में मध्यस्तता कराने वाले ग्लोबल लीडर्स में शामिल हो रहे हैं. हालांकि उन्होंने सिर्फ भारत और पाकिस्तान के बीच का ही तनाव नहीं खत्म कराया, बल्कि कुल पांच युद्ध समझौते करा चुके हैं. चलिए जरा इस बारे में विस्तार से जानें.

ट्रंप ने रुकवाईं इतनी जंग

दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को रुकवाने को लेकर जमकर सुर्खियां बटोरी थीं. इस दौरान अमेरिका के उप-राष्ट्रपति जेडी वेंस और यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की की व्हाइट हाउस में तीखी बहस चर्चा का विषय भी बनी थी. इसके बाद ट्रंप ने हमास और इजराइल के बीच जारी जंग को खत्म कराने में भी अहम भूमिका निभाई थी. ईरान और इजराइल के बीच भी संबंध अच्छे नहीं हैं. दोनों देश आपस में कई बार टकरा चुके हैं. ऐसे में इन दोनों के बीच भी ट्रंप मध्यस्थ बनकर उभरे. हाल ही में ट्रंप ने हुती विद्रोहियों पर हवाई हमले रोकने का फरमान दिया था. इस पर उन्होंने कहा था कि वो हुती विद्रोहियों पर कार्रवाई नहीं करेंगे.

क्या ट्रंप को मिल सकता है नोबेल

नोबेल पुरस्कार हर साल फिजिक्स, केमिस्ट्री, साहित्य, शांति, मेडिसिन और इकोनॉमिक क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है. यह पुरस्कार आमतौर पर दो-तीन लोगों को संयुक्त रूप से दिया जाता है. वहीं शांति के लिए नोबेल पुरस्कार किसी संगठन या संस्था को भी दिया जाता है. शांति के लिए नोबेल पुरस्कार हर साल ओस्लो (नॉर्वे) में दिया जाता है. इनका चयन अलग-अलग संस्थाएं करती हैं. कोई भी शख्स खुद इस पुरस्कार के लिए आवेदन नहीं कर सकता है. इस अवॉर्ड में इनविटेशन के जरिए ही नॉमिनेट किया जाता है और एक योग्य नॉमिनेटर इनके नॉमिनेशन देता है. ऐसे में ट्रंप को नोबेल मिल सकता है या नहीं यह तो शांति के लिए नोबेल देने वाली संस्था द नॉर्वेजियन नोबेल कमिटी ही तय करेगी. 

कैसे शुरू हुआ था नोबेल

नोबेल पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड बर्नाड नोबेल की याद में दिया जाता है. दिसंबर 1896 में उन्होंने अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा ट्रस्ट के लिए सुरक्षित रख दिया था. वो चाहते थे कि इस पैसे से हर साल उन लोगों को सम्मानित किया जाए, जो मानव जाति के लिए कल्याणकारी काम करते हैं. स्वीडिश बैंक में जमा उनकी संपत्ति के ब्याज से ही हर साल नोबेल फाउंडेश के द्वारा अलग-अलग क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार दिया जाता है.

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