कोराना वायरस को याद करके आज भी लोग सहम उठते हैं. क्योंकि कोरोना ने लाखों परिवारों को दुख पहुंचाया है. कोविड के कारण ना जाने कितने बच्चों ने अपने मां-पिता को खो दिया है. लेकिन सवाल ये है कि जब कोविड वायरस चीन के लैब से लीक हुआ था, तो क्या चीन के ऊपर दुनियाभर में मरने वाले करोड़ों लोगों के मामले केस चल सकता है. आज हम आपको उसके बारे में बताएंगे.

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कोरोना वायरस 

कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया था. इस वायरस के कारण दुनियाभर में करोड़ों लोंगों की मौत हुई थी. वहीं अब अमेरिका ने एक बार फिर से दुनियाभर में कोरोना वायरस फैलने के लिए चीन को जिम्मेदार बताया है. दरअसल अमेरिकी खुफ़िया एजेंसी सीआईए ने कहा कोविड महामारी के फैलने पर एक नया आकलन जारी किया है.

कोरोना वायरस के लिए चीन जिम्मेदार

अमेरिका की खुफ़िया एजेंसी सीआईए ने कहा कि कोरोना वायरस का जानवरों की बजाय चीनी प्रयोगशाला से लीक होने की ज़्यादा आशंका है. सीआईए के प्रवक्ता ने बताया है कि उपलब्ध रिपोर्ट के आधार पर महामारी के प्राकृतिक तौर पर फैलने की अपेक्षा रिसर्च के दौरान फैलने की आशंका ज़्यादा है. हालांकि चीन इस तरह के दावों पर पहले से आपत्ति जताता रहा है. इससे पहले जब इस तरह के आरोप चीन पर लगे थे, तब उसका कहना था कि कोरोना वायरस लैब से नहीं आया है. चीन का कहना था कि अमेरिकी सरकार और पश्चिमी मीडिया कोरोना के सोर्स को लेकर अफ़वाहें फैलाने का काम कर रहे हैं.

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क्या चीन पर चल सकता है केस?

अब सवाल ये है कि क्या चीन के ऊपर कोरोना वायरस के कारण गई करोड़ों की जान के मामले में केस चल सकता है? इसका जवाब है हां. अगर कोई भी देश सूबतों के साथ चीन को दोषी ठहराता है और इस मामले को लेकर इंटरनेशनल कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है, तो वहां पर इसकी सुनवाई हो सकती है. चीन के ऊपर हत्या का केस चलेगा या नहीं ये इंटरनेशनल कोर्ट के जस्टिस तय करेंगे.  अब सवाल ये है कि इंटरनेशन कोर्ट क्या है? बता दें कि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस संयुक्त राष्ट्र का महत्वपूर्ण न्यायिक अंग है. इसकी स्थापना 1945 में हॉलैंड के शहर हेग में हुई थी. संयुक्त राष्ट्र के न्यायालय में 15 न्यायाधीश हैं, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद द्वारा नौ साल के लिए चुने जाते हैं. गौरतलब है कि कुलभूषण जाधव के मामले में भारत ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.

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