ईरान इजराइल हमले जंग के बीच मिडिल ईस्ट में बढ़ते हुए तनाव के बीच अमेरिका का प्रेसिडेंशियल ‘डूम्सडे प्लेन’ यानी ई-4बी मंगलवार देर रात वाशिंगटन डीसी के पास ज्वाइंट बेस एंड्रयूज पर उतरा है. इसको लेकर पूरी दुनिया में हलचल मची हुई है. आमतौर पर यह अमेरिकी विमान तब इस्तेमाल में लाया जाता है जब परमाणु युद्ध या फिर वैश्विक आपातकाल जैसी स्थिति होती है. इस प्लेन को ‘नाइटवॉच’ के नाम से जाना जाता है और कयामत का संकेत भी कहते हैं. आखिरी बार यह प्लेन जब वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर 9/11 हमले के बाद उतारा गया था. आइए जानें कि यह रूस के डूम्सडे रेडियो से कितना अलग है.

अमेरिका का डूम्सडे प्लेन

नाइटवॉच एयरक्राफअट में एडवांस कम्युनिकेशन गीयर लगे हैं. इसमें फ्यूल खत्म होने पर यह आसमान में ही रीफ्यूल हो जाता है और इस पर परमाणु हमले और इलेक्ट्रमैग्नेटिक हमले का भी कोई असर नहीं होता है. E-4B नाइटवॉच को आधिकारिक रूप से नेशनल एयरबोर्न ऑपरेशंस सेंटर कहा जाता है. 11 सितंबर 2001 को इसका इस्तेमाल आतंकी हमले के वक्त किया गया था. उसी वक्त से यह सिर्फ संवेदनशील स्थितियों में ही एक्टिवेट होता है.

क्या है इस जेट की खासियत

E-4B प्लेन में तीन डेक होते है, जिसमें एक ब्रीफिंग रूम, एक रणनीतिक सम्मेलन के लिए रूम, एक कम्युनिकेशन क्षेत्र और आराम करने के लिए 18 बंक शामिल हैं. यह बिना जमीन पर उतरे 35 घंटे से ज्यादा समय तक हवा में रह सकता है. E-4B नाइटवॉच जरूरी संकटों के दौरान सक्रिय रहा है. 9/11 के वक्त अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इसका इस्तेमाल किया था. इससे पहले 1995 में संघीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी FEMA की टीम को तूफान ओपल के वक्त इसी जेट से ले जाया गया था. अब यह विमान फिर से हवा में है, लेकिन अभी इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि यह रेगलुर प्रैक्टिस थी या फिर ईरान के खिलाफ अमेरिका जंग में उतर चुका है.

रूस के डूम्सडे रेडियो से कितना अलग

रूस का डूम्सडे रेडियो स्टेशन, यूबीवी-76 के नाम से भी जाना जाता है. कहते हैं कि इससे जो भी संदेश मिलते हैं, उनको वहां तक पहुंचाया जाता है जहां तक सैटेलाइट के संदेश भी नहीं पहुंचते हैं. यह इतना खतरनाक है कि इसको हैक नहीं किया जा सकता है और इसमें भेजे जाने वाले मैसेज भी आम आदमी नहीं समझ सकता है. दरअसल इसमें शब्दों के साथ-साथ नंबर्स भी शामिल किए जाते हैं, इसीलिए इसे समझना काफी कठिन होता है. रूस इसके जरिए दुनियाभर में अपने लोगों को मैसेज भेजता है.

क्यों खतरनाक है डूम्सडे रेडियो स्टेशन

अब समझने की बात यह है कि जब पूरी दुनिया कम्युनिकेशन के लिए बेस्ट और एडवांस तकनीकों पर निर्भर है, फिर भी रूस रेडियो स्टेशन का इस्तेमाल क्यों कर रहा है. यह कोई आम रेडियो नहीं है. इसका इस्तेमाल खास आपातकालीन स्थितियों में किया जाता है. इस पर कोडेड वॉयस मैसेज भी सुनाई देते हैं, यह यूक्रेन के साथ युद्ध के दौरान देखा गया था. दरअसल यह सिर्फ संचार का माध्यम नहीं है, बल्कि जब भी यह बजता है तब तक तो ठीक है. लेकिन जैसे ही इसकी आवाज बदली तो समझ जाना चाहिए कि अब दुनिया खतरनाक मोड पर पहुंच गई है. कहते हैं कि इससे जुड़े जो भी मैसेज होते हैं वो सीक्रेट सैन्य अभियान या फिर परमाणु प्रोटोकाल के जरिए जुड़े हो सकते हैं. 

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