बहुत कम लोग ही खास तरह के शमामा इत्र के बारे में जानते होंगे, जो आसपास के माहौल को खुशबू से भरने के अलावा आपकी सेहत के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकता है. इसी वजह से यह एकमात्र ऐसा परफ्यूम है, जो आपको खुशबू देने के साथ स्वास्थ्य लाभ भी देता है. इसका ज्यादातर उपयोग सर्दियों के मौसम में किया जाता है और इसकी डिमांग विदेश तक में है. 

अरब देशों में है भारी डिमांड

इत्र के लिए दुनियाभर में उत्तर प्रदेश का कन्नौज जिला प्रसिद्ध है. यहीं से शमामा इत्र की शुरुआत हुई, जिसने दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान बनाई. इसकी मांग अरब देशों जैसे सऊदी अरब, ईरान, इराक, ओमान, कुवैत आदि में बहुत अधिक है. विदेश में इसकी कीमत तीन से चार लाख रुपये प्रति किलो तक है, जबकि भारत में यह आसानी से 2 से 2.5 लाख रुपये प्रति किलो में मिल जाता है. 

बनाने का तरीका रखा जाता है गुप्त

वैसे, शमामा एक फारसी शब्द है, जिसका हिंदी में अर्थ अच्छी सुगंध होता है. इसकी खासियत है कि यह प्राकृतिक गुणों से भरपूर होता है. शमामा को कई पीढ़ियों से बनाया जा रहा है, लेकिन अब तक इसके बनाने के तरीके को गुप्त रखा गया है. इसके कारीगरों के अलावा कोई भी शमामा इत्र नहीं बना सकता है. हरेक शमामा करीब 45 कच्ची सामग्रियों से बनाया जाता है. सभी शमामा बनाने वालों के अपने-अपने तरीके हैं और वे पैतृक परंपराओं व तकनीकों के आधार पर ही उसे बनाते हैं. 

जड़ी-बूटियों और गरम मसालों से होता तैयार

शमामा कारोबारियों की मानें तो यह इत्र फूलों से बनाया जाता है, लेकिन इसमें बाला, नागर मोथा, मुख्ता सुगंध मंत्री व हिमालय की तरह-तरह की जड़ी-बूटियों और गरम मसालों का भी इस्तेमाल किया जाता है. इस वजह से इनकी खुशबू इतनी खास हो जाती है. जड़ी-बूटियों के इस्तेमाल के कारण इत्र की तासीर गर्म होती है और सर्दियों में यह शरीर में गर्माहट बनाए रखने के भी काम आता है. 

तनाव, एंजाइटी, सर्दी-जुकाम में होता कारगर

औषधि के रूप में भी प्रयोग किए जाने वाले शमामा इत्र से कई तरह की समस्याएं दूर की जा सकती हैं. अगर नींद नहीं आती, एंजाइटी है, तनाव में रहते हैं या सर्दियों में बुखार व जुकाम है तो इसे औषधि के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. जुकाम, सिर दर्द के समय हाथ में लगाकर इसकी सुगंध लेने से बहुत आराम मिलता है. साथ ही सर्दियों में लगाने से शरीर में गर्माहट बनी रहती है. 

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