शौक कई तरह के होते हैं किसी कपड़ों का शौक होता, किसी को जूतों का, किसी को मेकअप का, किसी को माचिस की डिब्बी इकट्ठा करने का तो किसी को पुराने सिक्के या नोट इकट्ठा करने के भी शौक होता है. कुछ लोग स्पेशल सीरीज के नोट इकट्ठे करने पसंद करते हैं, जैसे कि 786 सीरीज के नोट. इस्लाम धर्म में 786 संख्या को पवित्र और शुभ माना जाता है. इसीलिए आपने देखा होगा कि बसों और ट्रकों में भी यह प्रमुखता से सामने की ओर लिखा होता है. बॉलीवुड की कई मूवीज में 786 अंकों से जुड़े कई यादगार सीन अभी भी लोगों के जहन में हैं. जैसे कि अमिताभ बच्चन ने ‘जंजीर’ और ‘कुली’ फिल्म में 786 नंबर बिल्ले वाले कुली की भूमिका निभाई थी. वहीं शाहरुख खान की फिल्म ‘वीर जारा’ में भी उनका कैदी नंबर 786 था. 

वहीं कुछ लोग 786 सीरीज वाले नोट का कलेक्शन करना शुभ मानते हैं. हिंदू हों या मुस्लिम किसी को भी अगर इस सीरीज का नोट मिले तो उसे भाग्यशाली कहा जाता है. इसीलिए कई लोगों के पास ऐसे नोट देखने को मिलते हैं. चलिए जानें कि इस्लाम में इस नंबर को पवित्र क्यों कहा गया है. 

क्यों पवित्र है 786 नंबर

786 नंबर देखने के बाद सबसे पहला ख्याल यही आता है कि यह एक इस्लामिक नंबर है और इसे मुसलमान इस्तेमाल करते हैं. वे इसे अपने धर्म का शुभ चिन्ह मानकर अपनी दुकान या घर के बाहर लगाते हैं. लेकिन इसका संबंध अल्लाह से है भी या सिर्फ अंक मात्र है. दरअसल इस्लाम धर्म के लोग 786 अंक को बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम का योग मानते हैं. इसका मतलब है कि बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम लिखने से इसका योग 786 आता है. इसीलिए इस अंक को पवित्र माना जाता है. बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम का अर्थ होता है अल्लाह, जो कि बहुत पवित्र, दयालु और नेक दिल हैं. 

बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम की जगह होता है इस्तेमाल

यही वजह है कि बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम को अल्लाह से जोड़कर देखा जाता है. 7+8+6= 21 होता है और 21 का योग यानि 2+1= 3 होता है. 3 को भी कई धर्मों में शुभ अंक माना जाता है. हालांकि इस्लाम में अंक ज्योतिष में इस योग का कहीं कोई जिक्र नहीं मिलता है, बल्कि कहा जता है कि लोगों ने कुछ अरबी अक्षर को जोड़कर 786 को इस्लाम में प्रचलन में लाने की बात कही है. 

इस्लाम में इसको लेकर अलग-अलग मत

मुस्लिम धर्म में कई लोग अल्लाह के नाम बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम की जगह 786 लिखते हैं और इसे बहुत पवित्र माना जाता है. मुस्लिम धर्म में होने वाली शादी और अन्य शुभ अवसरों पर दिए जाने वाले निमंत्रण कार्ड के सबसे ऊपर भी कई लोग 786 नंबर ही लिखवाते हैं. हालांकि इस्लाम धर्म के जानकार और विद्वानों के इसको लेकर अलग-अलग मत हैं. कोई कहते हैं कि अल्लाह के नाम की बजाय 786 का इस्तेमाल ठीक नहीं है, वहीं कोई कहता है कि 786 का इस्तेमाल गुनाह तो नहीं है, लेकिन सुन्नत खिलाफ है. 

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