International Day of Nowruz: आज यानी 21 मार्च को नौरोज़ मनाया जा रहा है. नौरोज़ को नवरोज़ भी कहा जाता है. नव मतलब नया और रोज़ मतलब दिन यानी नया दिन. यह पारसी समुदाय का त्यौहार होता है. नौरोज़ मनाने का इतिहास करीब 300 साल पुराना. पारसी समुदाय अपने राजा जमशेद को याद करते हुए इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं. साल में नौरोज़ दो बार मनाया जाता है. एक 21 मार्च और एक 16 अगस्त को. पारसी समुदाय के लिए इस दिन का विशेष महत्व होता है. चलिए जानते हैं क्या है इस दिन को मनाने की परंपरा और कैसे लिया जाता है इसे सेलिब्रेट. 


क्यों मनाया जाता है नौरोज़?


पारसी समुदाय मूलत: ईरान से ताल्लुक रखता है. ईरानी कैलेंडर के अनुसार आज यानी 21 मार्च को नौरोज़ का दिन मनाया जा रहा है. पारसी समुदाय के लोग इस दिन को अपने राजा जमशेद की याद में बनाते हैं. कहा जाता है राजा जमशेद ने ही पारसी कैलेंडर की स्थापना की थी. और उसके बाद से इस दिन को  नौरोज़ के तौर पर मनाया जाने लगा. 


जमशेद को ईरान का महान शासक भी कहा जाता है. ईरान की कई कहानियों में इनका जिक्र मिलता है. अंग्रेजी कैलेंडर में जहां 365 दिन होते हैं तो वहीं पारसी कैलेंडर में 360 दिन होते हैं. साल के आखिरी 5 दिन पारसी समुदाय के लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं.  


कैसे मनाते हैं इस त्योहार?


दुनिया भर में पारसी समुदाय के लोग इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन पारसी समुदाय के लोग सुबह जल्दी उठकर घर की साफ सफाई करते हैं. इसके बाद घरों के सामने रंगोली बनाते हैं. और फिर खास तरह के पकवान बनाए जाते हैं. जैसे होली दिवाली पर बनाए जाते हैं. इसके साथ ही समुदाय के लोग एक दूसरे को उपहार भी देते हैं. 


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