67 लाख करोड़ रुपए मार्केट कैप वाली दुनिया की पहली कंपनी बनने वाली है Apple
एपल की शुरूआत स्टीव जॉब, स्टीव वोजनेक और रोनाल्ट वायने ने 1976 में किया था. इसका हेडक्वार्टर कैलिफोर्निया में है.
इस लिस्ट में गूगल की कंपनी अल्फाबेट का मार्केट कैप जहां 791.26 बिलियन डॉलर है. वहीं ऑनलाइन बुकस्टोर से दुनिया की टॉप फाइव कंपनियों की लिस्ट में शामिल हुई अमेजन 823.14 बिलियन डॉलर पर है.
कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर बनानेवाली माइक्रोसॉफ्ट 785.76 बिलियन डॉलर पर है. जबकि चीन की कंपनी अलीबाबा का मार्केट कैप 534.46 बिलियन डॉलर है जो इस दौड़ में काफी पीछे है.
एपल का मार्केट कैपिटलाइजेशन 5 जून को 950.59 बिलियन डॉलर हो गया. 50 बिलियन डॉलर और जुड़ने से इसका मार्केट कैप 1 ट्रिलियन डॉलर पार कर जाएगा.
दिसंबर 2017 तक 22 देशों में इसके 499 रीटेल स्टोर्स थे. 2017 में इसका कुल रेवेन्यू 229 बिलियन डॉलर था. यही वजह है कि 1 ट्रिलियन डॉलर पार करने की सबसे बड़ी दावेदारी इसकी ही मानी जा रही है
एपल के कुल रेवेन्यू में 60 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी आईफोन की ही रहती है. वहीं पिछले 12 महीने में एपल वॉच जैसी डिवाइसेस की 9 अरब डॉलर की सेल हुई है.
एपल जल्द ही एक ट्रिलियन यानी 1000 अबर डॉलर का मार्केट कैप रखने वाली दुनिया की पहली कंपनी बन सकती है.
जी हां एपल 12 जीरो और 13 डिजिट वाली कंपनी बनने का माइलस्टोन जल्द ही पार कर सकती है.
इस लिस्ट में अमेजन, अल्फाबेट और माइक्रोसॉफ्ट अभी एपल से पीछे हैं.
अगर एपल एक ट्रिलियन की कंपनी बनेगी तो इसका मार्केट कैप 67 लाख करोड़ रुपए के करीब होगा. यानी भारत की कुल अर्थव्यवस्था का 42 फीसदी.
कंपनी का काम कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर और ऑनलाइन सर्विस डिजाइन, डेवलप और सेल करना है. एपल के 1,23,000 फुल टाइम एम्प्लॉइज हैं.
एपल के 1 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की बड़ी वजह आईफोन है. 2007 में कंपनी ने जहां सिर्फ 14 लाख आईफोन बेचे, वहीं 2017 में इसका आंकड़ा बढ़कर 21 करोड़ से ज्यादा हो गया.