Rajasthan Politics: राजस्थान की सियासत में एक बार फिर गर्मी लगातार बढ़ती जा रही है. सीएम अशोक गहलोत के हमले के बाद अब सचिन पायलट की तरफ से पलटवार किया गया है. पायलट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपने समर्थक विधायकों पर लगाए गए आरोपों का जवाब दिया और मुख्यमंत्री को जमकर निशाने पर लिया. पायलट ने यहां तक कह दिया कि अशोक गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे हैं. इसके अलावा पायलट ने कहा कि वो करप्शन और जनता के मुद्दों को लेकर जन संघर्ष यात्रा निकालने जा रहे हैं. अब राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक बार फिर खुलकर मैदान में उतर चुके हैं, ऐसे में सवाल ये है कि क्या पायलट इस बार टेकऑफ कर पाएंगे या फिर गहलोत का जादू फिर से दिखेगा. पायलट की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद आइए समझते हैं कि उनके लिए आगे क्या समीकरण बन सकते हैं. 


सीएम गहलोत पर हमला
सचिन पायलट ने अशोक गहलोत के भाषण का जिक्र करते हुए कहा कि, "इसे सुनने के बाद मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री की नेता सोनिया गांधी जी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे हैं. एक तरफ कहा जा रहा है कि बीजेपी हमारी सरकार को गिराने का काम कर रही थी. दूसरी तरफ कहा जाता है कि सरकार को बचाने का काम वसुंधरा जी कर रही थीं. इसे स्पष्ट करने की जरूरत है."


राजद्रोह का केस लगाने की थी साजिश
सचिन पायलट ने ये भी साफ किया कि वो 2020 में नेतृत्व परिवर्तन चाहते थे. उन्होंने कहा, "2020 में मेरे ऊपर राष्ट्रद्रोह की कार्रवाई करने की कोशिश की गई थी. मैं साफ करना चाहता हूं कि मैं और हमारे साथी परिवर्तन चाहते थे, इसे लेकर हम दिल्ली गए और अपनी बातों को रखा. इसके बाद कांग्रेस कमेटी ने चर्चा की और AICC ने एक कमेटी का गठन किया. जिसमें माकन साहब, वेणुगोपाल और अहमद पटेल शामिल थे. इस दौरान हमारी बातों को मानकर एक रोडमैप तैयार किया गया. उसके बाद से हम सब ने कांग्रेस को मजबूत और ताकतवर बनाने के लिए जी जान से मेहनत की. इसके बाद किसी ने भी अनुशासन तोड़ने का काम नहीं किया."


विधायकों पर लगे आरोपों का दिया जवाब
सचिन पायलट ने इस दौरान गहलोत के उस बयान का भी जवाब दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2020 में हमारे कई विधायकों ने बीजेपी से करोड़ों रुपये लिए. पायलट ने कहा, "अब तक मुझे गद्दार, कोरोना, निकम्मा कहा जा रहा था. मैं पिछले ढ़ाई साल से ये आरोप सुन रहा था, लेकिन हम पार्टी की छवि को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे. लेकिन मुख्यमंत्री की तरफ से जो भाषण दिया गया उसमें कांग्रेस के नेताओं को बदनाम करने का काम हुआ और बीजेपी के नेताओं का गुणगान किया गया." पायलट ने आगे सीनियर विधायकों का नाम लेते हुए बताया कि उनकी क्या इमेज और क्रेडेबिलिटी है. उन्होंने गहलोत के आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि तीन साल से उन्होंने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की?.


जन संघर्ष यात्रा में जनसंवाद
सचिन पायलट ने कहा कि पिछले कुछ साल से जो मैं पिछली सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहा हूं, उस पर क्यों कार्रवाई नहीं हुई ये अब समझ आ रहा है. वसुंधरा की की सरकार में जो करप्शन हुआ उस पर कोई जवाब नहीं आता है. इसलिए मैंने फैसला लिया है कि 11 मई से अजमेर से एक पदयात्रा निकालूंगा. जनता के बीच जाकर जनता के मुद्दों को उठाएंगे. जो करप्शन के मुद्दे हैं और युवाओं से जुड़े मामले हैं, उन्हें इस जन संघर्ष यात्रा में सुना जाएगा. 


गहलोत के बाद पायलट का वार
राजस्थान कांग्रेस में दरार तो काफी पहले ही आ चुकी थी, लेकिन 2020 के घटनाक्रम के बाद इसे चादर से ढक दिया गया था. इसके बाद गहलोत और पायलट गुट इशारों-इशारों में एक दूसरे पर हमलावर रहा, लेकिन सीधे कभी भी एक दूसरे के खिलाफ नहीं उतरे. अब चुनाव से करीब एक साल पहले अशोक गहलोत ने सीधे पायलट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया, उन्होंने पायलट समेत उनके समर्थक तमाम विधायकों को करोड़ों रुपये लेने वाला गद्दार बता दिया. जिसके बाद राजस्थान का सियासी पारा चढ़ना शुरू हो गया. 


वसुंधरा के सहारे घेरने की कोशिश
गहलोत के हमले के बाद पायलट के पलटवार की बारी थी. गहलोत के वसुंधरा के साथ देने की बात करने के बाद अब पायलट भ्रष्टाचार के मुद्दे पर गहलोत को घेरने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बात साफ भी कर दी. पायलट ने कहा कि उन्हें अब समझ आ रहा है कि उनके उठाए गए भ्रष्टाचार के मुद्दों पर गहलोत ने कार्रवाई क्यों नहीं की. ये करप्शन वसुंधरा राजे सरकार में हुआ था. यानी सीधे पायलट इसे गहलोत और वसुंधरा की मिलीभगत बताकर जनभावनाओं को अपनी ओर खींचने की कोशिश करेंगे. 


यात्रा से टेकऑफ कर पाएंगे पायलट?
अब सचिन पायलट ने भ्रष्टाचार का जिक्र कर जन संघर्ष यात्रा निकालने का ऐलान कर दिया है. पांच दिन की इस यात्रा में सचिन पायलट यूथ वोटर्स पर पूरी तरह से फोकस करेंगे. उन्होंने साफ किया है कि इस दौरान युवाओं के रोजगार और भर्ती प्रक्रिया में हो रही गड़बड़ी के मुद्दे को उठाया जाएगा. यानी एक तरह से वो अपनी ही सरकार के खिलाफ जमीनी मुद्दों को उठाकर सामने लाएंगे. क्योंकि उत्तराखंड के बाद राजस्थान जैसे राज्य में पेपर लीक और भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी के काफी मामले सामने आए हैं, ऐसे में अगर पायलट इसे उठाकर युवाओं को साध लेते हैं तो ये उनकी ताकत को बढ़ा सकता है. 


जनता की नब्ज टटोलने की कोशिश
क्योंकि सचिन पायलट की ताकत कहीं न कहीं गहलोत से कम है, इसे वो 2020 में भी आजमा चुके हैं. इसीलिए अब पायलट जल्दबाजी में कोई भी कदम नहीं उठाना चाहते. कहा जा रहा है कि पायलट ऐसी ही कुछ और यात्राएं निकाल सकते हैं, जिससे वो लोगों की नब्ज को टटोल सकें. एक बार उन्हें जमीनी सच्चाई का पता लग जाए तो वो आगे चुनावों से पहले कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं. चुनाव से पहले अगर पायलट जनता के बीच अपनी ताकत बढ़ाने में कामयाब रहते हैं तो वो खुलकर आलाकमान के सामने गहलोत को चुनौती दे सकते हैं, वहीं अगर पार्टी से इस बार भी बात नहीं बनी तो पायलट कोई दूसरा विकल्प देख सकते हैं.