Petrol Diesel Price Hike: मोदी सरकार से हरी झंडी मिलने के बाद आखिरकार 4 नवंबर 2021 के बाद पहली सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल डीजल के दामों बदलाव करने का फैसला लिया और 22 मार्च से पेट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी कर दी. सरकारी तेल कंपनियों ने ने एक ही बार में 80 पैसे प्रति लीटर पेट्रोल डीजल महंगा कर दिया. लेकिन ये तो केवल ट्रेलर मात्र है. अब माना जा रहा है इसी के साथ हर रोज पेट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी की जाएगी और ये सिलसिला तब तक जारी रह सकता है जब तक सरकारी तेल कंपनियों को दोनों ही ईंधन बेचने पर हो रहे नुकसान की भरपाई नहीं हो जाती. 


कितना और महंगा होगा पेट्रोल डीजल
सरकारी तेल कंपनियों ने केवल 80 पैसे प्रति लीटर पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाये हैं. लेकिन अगले कुछ दिनों में सरकारी तेल कंपनियों को 15 से 20 रुपये प्रति लीटर तक पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने होंगे तभी उनके नुकसान की भरपाई हो सकेगी. इसके संकेत इस बात से लगाये जा सकते हैं कि थोक डीजल उपभोक्ताओं के लिए सरकारी तेल कंपनियों ने डीजल के दामों में 25 रुपये प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी कर दी है. बल्क डीजल उपभोक्ताओं के श्रेणी में रेलवे, राज्य सरकारों की रोडवेज, मॉल, फैक्ट्रियां, हाउसिंग सोसाइटीज आते हैं. कच्चे तेल के दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में 118 डॉलर प्रति बैरल के करीब कारोबार कर रहा है. 


अब आपको बताते हैं कैसे महंगा कच्चा तेल सरकारी तेल कंपनियों के खजाने पर असर डाल रहा है. कच्चे तेल के दामों में हर एक डॉलर की बढ़ोतरी होने पर सरकारी तेल कंपनियां पेट्रोल डीजल के दामों में 40 पैसे प्रति लीटर तक की बढ़ोतरी करती हैं. 5 डॉलर तक कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी के बाद 2 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल डीजल महंगा होता है. अगर रुपये के मुकाबले डॉलर में आई कमजोरी को भी जोड़ ले तो इस हिसाब से सरकारी तेल कंपनियों को अपने नुकसान की भरपाई करने की पेट्रोल डीजल के दामों को करीब 20 रुपये प्रति लीटर तक कम से कम बढ़ाने होंगे.  एक दिसंबर 2021 को 68 डॉलर प्रति बैरल के न्यूनत्तम तक छूने के बाद से कच्चा तेल अब 118 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है. यानि 50 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा कच्चा तेल पिछले करीब 112 दिनों में महंगा हो चुका है. 


आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज (ICICI Securities) ने एक रिपोर्ट में कहा था कि अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों के साथ - जिस पर घरेलू ईंधन खुदरा कीमतें जुड़ी है. सरकारी तेल कंपनियों को ब्रेक ईवन यानि नुकसान को खत्म करने के लिए 12.1 रुपये प्रति लीटर की भारी कीमत वृद्धि की आवश्यकता है. रिपोर्ट में कहा गया कि तेल कंपनियों के लिए मार्जिन को शामिल करने के बाद कीमतों में 15.1 रुपये की बढ़ोतरी की जरूरत है. वहीं एसबीआई ने अपने रिसर्च रिपोर्ट में कहा था कि सरकारी तेल कंपनियों को अपने नुकसान की भरपाई करने के लिए 9 से 14 रुपये प्रति लीटर तक पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने होंगे. 


एक्साइज ड्यूटी घटाने पर मंथन
दरअसल पेट्रोल डीजल के दाम इतना ज्यादा बढ़ाने पर सरकार के खिलाफ लोगों में नाराजगी आ सकती है. इसी को देखते हुए सरकार पेट्रोल डीजल के दामों में बढ़ोतरी के साथ एक्साइज ड्यूटी घटाने पर भी विचार कर रही है जिससे आम लोगों पर महंगे पेट्रोल डीजल के भार को कम किया जा सके. एसबीआई के चीफ इकॉनमिक एडवाइजर सौम्या कांति घोष के मुताबिक अगर सरकार पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाती है तो सरकार को हर महीने 8000 करोड़ रुपये का टैक्स कलेक्शन का नुकसान होगा. रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने एक्साइज ड्यूटी में कमी की और पेट्रोल डीजल का खपत 8 से 10 फीसदी बढ़ा तो सरकार को 2022-23 में 95,000 करोड़ रुपये से लेकर एक लाख करोड़ रुपये का रेवेन्यू लॉस होगा. केंद्र सरकार पेट्रोल पर  27.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूलती है. 


चुनाव के कारण नहीं बढ़े थे दाम
कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी का सिलसिला तो दिसंबर 2021 के आखिरी हफ्ते से शुरू हो चुका था. लेकिन रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद दामों में अचानक तेजी आई और कच्चे तेल के दामों ने 14 साल के उच्चतम स्तर को छूआ और 140 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा था. यानि एक दिसंबर 2021 के बाद लगभग दोगुना उछाल. लेकिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के चलते सरकारी तेल कंपनियों ने दाम नहीं बढ़ाये. 


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