Anti Defection Law: महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और वरिष्ठ शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के 42 शिवसेना (Shiv Sena) विधायकों के समर्थन के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार पतन के कगार पर दिखाई दे रही है. महाराष्ट्र (Maharashtra) में पैदा हुए इस राजनीतिक संकट के बाद दल बदल विरोधी कानून (Anti Defection Law) भी चर्चा में है. क्या इस कानून के जरिए उद्धव सरकार बच पाएगी? क्या शिवसेना के बागी विधायक दल बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई का सामना कर सकते हैं, या उनके पास इससे बचने के लिए संख्या है? ऐसे में इन सभी सवालों के जवाब जानने जरूरी हैं.


महाराष्ट्र की 288 सदस्यों वाली विधानसभा में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के कुल 55 विधायक हैं. दल बदल विरोधी कानून के प्रावधानों के अनुसार विलय के लिए किसी विधायक दल को दो-तिहाई सदस्यों की सहमति की आवश्यकता होती है, जिन्होंने किसी अन्य राजनीतिक दल के साथ विलय करने की सहमति दी हो. अयोग्यता से बचने के लिए एकनाथ शिंदे को 37 विधायकों (55 विधायकों में से दो तिहाई) का समर्थन सुनिश्चित करना होगा. 


किसका क्या है दावा?


शिवसेना की मौजूदा स्थिति की बात करें तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज विधायकों के साथ बैठक की. जिसमें मात्र 13 विधायक ही पहुंचे. इसके बाद शिवसेना सांसद संजय राउत ने दावा किया कि एकनाथ शिंदे गुट में शामिल 21 विधायक उनके संपर्क में हैं. जब भी मौका मिलेगा गठबंधन सरकार बहुमत साबित करके दिखाएगी. वहीं एकनाथ शिंदे ने दावा किया है कि शिवसेना के 55 विधायकों में से 42 विधायक उनकी तरफ आएंगे. अगर ऐसा होता है तो उद्धव ठाकरे के लिए सरकार बचाना मुश्किल हो जाएगा और दल बदल कानून के सहारे भी उद्धव ठाकरे बागी विधायकों का कुछ नहीं कर पाएंगे. 


क्या है विधानसभा की मौजूदा स्थिति?


महाराष्ट्र विधानसभा की मौजूदा क्षमता 287 क्योंकि शिवसेना के विधायक रमेश लटके का हाल ही में निधन हो गया था. ऐसे में अब बहुमत के लिए 144 का आंकड़ा होना जरूरी है. महा विकास अघाड़ी के पास 169 विधायक हैं जिसमें शिवसेना के 55, एनसीपी के 53, कांग्रेस के 44 विधायक हैं. एनडीए के पास 113 विधायक हैं जिसमें बीजेपी के 106 विधायक हैं और बाकी 13 निर्दलीय विधायक हैं.  


दल बदल कानून लगा तो क्या होगा? 


शिंदे गुट को दल बदल कानून (Anti Defection Law) से बचने के लिए 37 विधायक चाहिए. अगर 37 विधायक पूरे नहीं हुए तो शिंदे समेत 35 विधायकों की सदस्यता चली जाएगी. ऐसा हुआ तो विधानसभा की क्षमता 252 रह जाएगी जिसके बाद बहुमत के लिए 127 विधायकों की जरूरत होगी. ऐसे में बीजेपी (BJP) के लिए सरकार बनाना बेहद मुश्किल हो जाएगा. बीजेपी अगर बहुमत साबित करने में असफल रही तो फिर दो ही रास्ते नजर आ रहे हैं एक तो उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) सरकार से बहुमत साबित करने के लिए कहा जा सकता है नहीं तो फिर राज्य राष्ट्रपति शासन (President Rule) की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है. 


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