Karnataka Election 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी पहली लिस्ट जारी कर दी है. जिसमें मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की सीट भी शामिल है. जो शिगगांव सीट से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, लेकिन 189 उम्मीदवारों की इस लिस्ट में जिस नाम की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा हैं. जिनके बेटे बीवाई विजयेंद्र को उनके पिता की पारंपरिक सीट शिकारीपुरा से टिकट दिया गया है. जिसके बाद येदियुरप्पा विरोधी गुट में हलचल देखी जा सकती है और येदियुरप्पा समर्थक इसे उनकी बड़ी जीत के तौर पर देख रहे हैं. आइए समझते हैं कि इस सीट पर उम्मीदवार के नाम के ऐलान को जीत हार के तौर पर क्यों देखा जा रहा है. 


येदियुरप्पा की पारंपरिक सीट है शिकारीपुरा
दरअसल कर्नाटक की शिकारीपुरा सीट बीएस येदियुरप्पा की पारंपरिक सीट है, जिसे अब उन्होंने अपने बेटे के हवाले कर दिया है. येदियुरप्पा ने पहले ही साफ कर दिया था कि वो अब चुनाव नहीं लड़ेंगे. ऐसे में उन्होंने अपने बेटे को इस सीट पर उतारने की बात कही थी, जिसे पार्टी ने मान लिया. शिकारीपुरा सीट से येदियुरप्पा 1983 के बाद से लगातार सात बार जीते हैं. यानी इस सीट पर उन्हें पिछले कई दशकों से कोई भी टक्कर नहीं दे पाया. 


येदियुरप्पा के विरोधी खेमे को करारा जवाब
चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने एक बार फिर येदियुरप्पा को राज्य में बड़े नेता के तौर पर देखना शुरू कर दिया था, जिससे ये साफ हो चुका था कि जो येदियुरप्पा चाहेंगे बीजेपी वही करेगी. हालांकि शिकारीपुरा सीट से उनके बेटे को टिकट मिलने पर सस्पेंस था. इसे लेकर पिछले कुछ हफ्तों से लगातार बयानबाजी भी खूब हो रही थी. येदियुरप्पा के विरोधी धड़े से आने वाले सीटी रवि ने खुलकर इसकी खिलाफत की थी. जब येदियुरप्पा ने अपने बेटे को शिकारीपुरा से लड़ाने की बात कही थी तो सीटी रवि ने बयान दिया था कि किसी के किचन में ये तय नहीं होगा. उन्होंने कहा था कि किसी को इसलिए टिकट नहीं दिया जाना चाहिए कि वो किसी बड़े नेता का बेटा है. 


अमित शाह के दौरे से मिला था पहला जवाब
ऐसा नहीं है कि येदियुरप्पा के विरोधी खेमे को उनके बेटे को टिकट मिलने पर ही पहला झटका लगा हो. इससे पहले जब खुद गृहमंत्री अमित शाह येदियुरप्पा के घर नाश्ते पर पहुंचे थे तो उनकी कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थीं. इन तस्वीरों में अमित शाह येदियुरप्पा और उनके बेटे विजयेंद्र के साथ काफी सहज नजर आ रहे थे. इन्हीं तस्वीरों से तय हो गया था कि येदियुरप्पा की हर इच्छा बीजेपी आलाकमान की तरफ से पूरी की जाएगी. इसीलिए वंशवाद को लेकर कांग्रेस पर लगातार हमलावर रहने वाली बीजेपी ने येदियुरप्पा के बेटे को ही उनकी सीट पर टिकट दे दिया और विरोधी धड़ा देखता रहा.  


बीवाई विजयेंद्र का क्यों हो रहा विरोध
कर्नाटक की राजनीति को करीब से जानने वाले जानकार कहते हैं कि बीजेपी के कई बड़े नेता ये बिल्कुल भी नहीं चाहते हैं कि येदियुरप्पा की विरासत उनके बेटे को सौंप दी जाए. कई सालों से जमीन पर काम करने वाले नेता इसका सबसे ज्यादा विरोध कर रहे थे. उनका साफ कहना था कि अगर विजयेंद्र ने विरासत संभाल ली तो अगले कई दशकों तक इसे उनसे कोई नहीं छीन पाएगा. येदियुरप्पा ने जैसे अपनी सीट पर कई सालों तक राज किया, ठीक उसी तरह उनके बेटे भी करेंगे. 


बीजेपी के बड़े नेताओं के विरोध करने का कारण ये था कि वो लिंगायत वोटों को सिर्फ येदियुरप्पा परिवार तक ही सीमित नहीं रखना चाहते थे. पार्टी के नेताओं की कोशिश थी कि वो येदियुरप्पा के पारंपरिक वोट को सीधे पार्टी में तब्दील कर पाए. यानी जो वोट येदियुरप्पा के नाम पर पार्टी को मिलता है वो सीधे बीजेपी के नाम पर मिले. 


येदियुरप्पा को सीएम पद से हटाना भी इसी की एक कोशिश माना जाता है. हालांकि जब बोम्मई फॉर्मूला हिट साबित नहीं हुआ तो बीजेपी ने एक बार फिर येदियुरप्पा को पोस्टर ब्वॉय बना दिया. चुनाव की कमान उनके हाथों में सौंप दी और हर मंच पर उन्हें सीएम से ज्यादा सम्मान दिया गया. फिलहाल बीजेपी येदियुरप्पा को संकट मोचक के तौर पर देख रही है, जिसका उदाहरण अब उनके बेटे को शिकारीपुरा से टिकट मिलना है. 


कर्नाटक बीजेपी में उठने लगे बगावत के सुर
येदियुरप्पा के बेटे को उनकी पारंपरिक सीट से टिकट मिलने से तो विरोधी खेमा नाराज ही है, लेकिन कई पूर्व विधायकों ने भी बगावती सुर उठाने शुरू कर दिए हैं. जिनके टिकट पार्टी ने काट दिए हैं. 189 उम्मीदवारों की लिस्ट में बीजेपी ने 52 नए नामों को शामिल किया है. पहली लिस्ट में कुल 11 मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए हैं. बीजेपी की पहली लिस्ट में पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार का नाम नहीं होने को लेकर भी खूब चर्चा है. शेट्टार ने ये खुलेआम बोल दिया है कि वो किसी भी कीमत पर जरूर चुनाव लड़ेंगे. जिसके बाद दिल्ली आलाकमान ने उन्हें बुलावा भेजा. माना जा रहा है कि उन्हें दूसरी लिस्ट में टिकट मिल सकता है. उनके अलावा कर्नाटक बीजेपी के नेता लक्ष्मण सावदी ने टिकट नहीं मिलने के बाद इस्तीफा दे दिया है. 


कहा जा रहा है कि अगर जगदीश शेट्टार और उनके करीबियों को नहीं मनाया गया तो बीजेपी के लिए काफी मुश्किल हो सकती है. वहीं दूसरी तरफ ये भी कहा जा रहा है कि येदियुरप्पा भी टिकट बंटवारे से कुछ नाराज हैं. अगर वाकई में ऐसा हुआ तो ये बीजेपी के लिए कर्नाटक में घातक साबित हो सकता है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि विपक्षी दल कांग्रेस, बीजेपी की इस बगावत को किस हद तक भुनाने में कामयाब हो पाती है. कर्नाटक बीजेपी के लिए साउथ का इकलौता ऐसा राज्य है, जहां वो संभावनाएं देख सकती है. इसीलिए कर्नाटक चुनाव के नतीजे पार्टी के लिए काफी अहम हैं. 


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