नई दिल्ली: राज्यसभा में 17 राज्यों की 55 सीटों पर 26 मार्च को चुनाव होगा. कांग्रेस और बीजेपी सहित तमाम क्षेत्रीय राजनीतिक दलों ने राज्यसभा की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. मध्य प्रदेश में सियासी उथल-पुथल के पीछे का मकसद राज्यसभा के चुनाव को माना जा रहा है. अब चूकि राज्यसभा की 55 सीटों पर मतदान होने जा रहा है तो आइए आज जान लेते हैं कि आखिर राज्य सभा में वोटिंग होती कैसे है.


राज्यसभा क्या है


देश में दो प्रकार से सदन है. लोकसभा और राज्यसभा. इनमें लोकसभा जनता का सदन है जहां 18 साल से उपर की जनता द्वारा मदतदान से चुने गए सदस्य जाते हैं. वहीं दूसरा राज्यों का सदन यानी राज्यसभा है जिसमें राज्यों का प्रतिनिधि होता है. राज्य सभा कभी भंग नहीं होता. यह स्थायी सदन है.


राज्यसभा में चुने जाने के लिए योग्यता क्या है


-भारतीय नागरिक हो
-उम्र न्यूनतम 30 साल होना आनिवार्य


राज्यसभा की वोटिंग प्रकिया यहां जानिए


राज्यसभा की वोटिंग प्रकिया ठीक उसी तरह की है जैसे राष्ट्रपति को चुनने के दौरान अपनाई जाती है. राज्यसभा में सदस्य का चयन निर्वाचित MLA वोटिंग के जरिए करते हैं. राज्यसभा सदस्यों को लेकर दो जरूरी बाते हैं. इसमें पहली महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्यसभा में कोई आरक्षण नहीं होता है. वहीं दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि राज्यसभा में 2003 से एक नियम बना दिया गया है कि राज्यसभा के लिए मतदान गुप्त मतदान नहीं होते बल्कि ओपन बैलेट होते हैं. इसका मतलब यह है कि जब MLA वोट करता है तो उसके लिए अपनी पार्टी के प्रतिनिधि को वोट दिखाना जरूरी है वरना उसका वोट निरस्त कर दिया जाता है. केवल निर्दलीय पर यह लागू नहीं होता है लेकिन जितने पार्टी के MLA हैं उनपर यह नियम लागू होता है.


कैसे होती है वोटिंग


-राज्य सभा में सदस्यों का चुनाव राज्य विधान सभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमे विधान परिषद् के सदस्य वोट नहीं डाल सकते.
-नामांकन फाइल करने के लिए न्यूनतम 10 सदस्यों की सहमति आवश्यक होती है.
-सदस्‍यों का चुनाव एकल हस्‍तांतरणीय मत के द्वारा निर्धारित कानून से होता है.
- इसके अनुसार राज्य की कुल विधानसभा सीटों को राज्यसभा की सदस्य संख्या में एक जोड़ कर उसे विभाजित किया जाता है फिर उसमें 1 जोड़ दिया जाता है.


कैसे तय होता है किस राज्य से कितने सांसद होंगे


राज्यसभा में किस राज्य से कितने सांसद होंगे यह उस राज्य की जनसंख्या के हिसाब से तय किया जाता है.प्रत्‍येक राज्‍य के प्रतिनिधियों की संख्‍या ज़्यादातर उसकी जनसंख्‍या पर निर्भर करती है. उदाहरण के लिए इउत्तर प्रदेश के राज्यसभा में 31 सदस्‍य हैं. जबकि अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, नगालैंड, मेघालय, गोवा, मिजोरम, सिक्‍किम, त्रिपुरा आदि छोटे राज्‍यों के केवल एक एक सदस्‍य हैं.


चुनाव जीतने के लिए कितने वोट की जरूरत


राज्यसभा सदस्य बनने के लिए कितने वोटों की जरूरत होती है. दरअसल प्रत्येक सदस्य को राज्यसभा पहुंचने के लिए उस राज्य की कुल विधायकों की संख्या को जितने सदस्य चुने जाने हैं उसमें एक जोड़कर विभाजित किया जाता है. मान लीजिए इस बार 26 मार्च को जिन 55 सीटों पर राज्यसभा चुनाव होना है उनमें महाराष्ट्र की सात सीटें हैं. अब इसमें एक जोड़ने पर यह 8 हो जाएगा. इस 8 को महाराष्ट्र विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या (288) से भाग दे दीजिए और फिर जो जवाब आए उसमें एक जोड़ दीजिए.


288%8=36 और इसमें एक जोड़ दो तो 37 उम्मीदवार को 37 प्राथमिक वोटों की जरूरत होगी.


इसके अलावा वोट देने वाले प्रत्येक विधायक को यह भी बताना होता है कि उसकी पहली पसंद और दूसरी पसंद का उम्मीदवार कौन है. इससे वोट प्राथमिकता के आधार पर दिए जाते हैं. यदि उम्मीदवार को पहली प्राथमिकता का वोट मिल जाता है तो वो वह जीत जाता है नहीं तो इसके लिए चुनाव होता है.