महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर तेज हलचल शुरू हो चुकी है, एनसीपी नेता अजित पवार के बीजेपी के साथ हाथ मिलाने की अटकलें शुरू हो चुकी हैं. कहा जा रहा है कि उनकी देवेंद्र फडणवीस से एक बार फिर बातचीत शुरू हो चुकी है, जिसके बाद अब विधायकों को जुटाने का काम शुरू हो चुका है. सूत्रों के मुताबिक अजित पवार ने एनसीपी के करीब 30 विधायकों का समर्थन हासिल कर लिया है. अब इस पूरी हलचल ने 2019 में विधानसभा चुनाव के बाद की उस तस्वीर की याद दिला दी है, जो सुबह करीब 6 बजे राजभवन से सामने आई थी. जिसमें अजित पवार ने फडणवीस से हाथ मिलाकर डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली थी. आइए समझते हैं कि अजित पवार के बीजेपी और शिंदे सरकार से साथ जुड़ने के क्या मायने हो सकते हैं और 2024 चुनाव के लिए ये कितना अहम है.
विधायकों को एकजुट कर रहे हैं अजित पवार?ताजा मामले की बात करें तो अजित पवार ने 2019 वाला कांड फिर से दोहराने का मन बना लिया है. बताया जा रहा है कि शिंदे की ही तरह वो भी पार्टी के ज्यादातर विधायकों को अपने पाले में खींचकर पलटी मारने वाले हैं. इसके लिए विधायकों को फोन किया जा रहा है और उनकी राय ली जा रही है. हालांकि इस बार अजित पवार कुछ भी जल्दबाजी में नहीं करना चाहते हैं. 2019 में वो ऐसा करने का परिणाम देख चुके हैं, जब विधायक नहीं जुटा पाने के बाद उन्हें उलटे पांव लौटना पड़ा था.
दरअसल विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद जब एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना की सरकार बनाने को लेकर बातचीत चल रही थी, तभी अचानक सुबह एक तस्वीर सामने आई. जिसमें देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री और अजित पवार उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहे थे. अजित पवार ने पाला बदल लिया था और दावा किया था कि उनके साथ कई विधायक हैं. हालांकि राजनीति के पुराने और धुरंधर खिलाड़ी शरद पवार ने इस कोशिश को नाकाम कर दिया और अजित पवार को वापस लौटना पड़ा.
पवार की पावर को फिर से चुनौतीअजित पवार को लेकर जो भी खबरें सामने आ रही हैं, उनसे एक बार फिर साफ हो रहा है कि अजित पवार फिर से शरद पवार की ताकत को चुनौती देने की कोशिश कर रहे हैं. जब 2019 में अजित पवार ने पाला बदला था, तब शरद पवार ने साफ शब्दों में कहा था कि हम किसी भी हाल में बीजेपी के साथ सरकार नहीं बनाने जा रहे हैं. शरद पवार ने विधायकों की बैठक बुलाई और एक-दो विधायकों को छोड़कर सभी इसमें पहुंच गए. जिसके बाद महज तीन दिन में पूरे समीकरण बीजेपी और अजित पवार के खिलाफ बन गए और ये गठबंधन बनते ही टूट गया. अब एक बार फिर अगर अजित पवार पलटी मारते हैं तो शरद पवार के लिए ये किसी चुनौती से कम नहीं होगा. हालांकि राजनीतिक जानकार ये मानते हैं कि शरद पवार के बिना अजित पवार के लिए ऐसा करना काफी मुश्किल होगा.
कैसे मिल रहा है अटकलों को जोरमहाराष्ट्र में सियासी उलटफेर की अटकलों को हवा देने का काम खुद एनसीपी सांसद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने किया है. सुले ने कहा कि दो हफ्ते में दिल्ली और महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े सियासी धमाके देखने को मिल सकते हैं. वहीं अजित पवार खुद भी मीडिया के सामने नहीं आ रहे हैं, जिससे सस्पेंस और ज्यादा गहरा रहा है. इससे पहले अजित पवार ने पुणे में होने वाली रैली को रद्द किया था, जिसके बाद अटकलों का बाजार गरम हुआ. अब इस पूरी घटनाक्रम ने महाराष्ट्र की राजनीति को एक बार फिर दिलचस्प बना दिया है.
अटकलें ये भी लगाई जा रही हैं कि शरद पवार खुद इस पूरे सियासी खेल के मास्टरमाइंड हो सकते हैं. बता दें कि 2019 में अजित पवार के साथ सरकार बनाने को लेकर देवेंद्र फडणवीस ने बयान दिया था कि शरद पवार भी इसमें शामिल थे. हाल ही में अडानी मामले को लेकर भी शरद पवार ने कांग्रेस की जेपीसी की मांग को खारिज कर दिया था. अब अगर अबकी बार शरद पवार के हाथों ये सब होता है तो ये वाकई में दिल्ली से लेकर महाराष्ट्र तक के लिए एक बड़े धमाके की तरह होगा. कहा जा रहा है कि विधायक सिर्फ शरद पवार के एक इशारे का इंतजार कर रहे हैं.
क्या बोले शरद पवारमहाराष्ट्र में बड़े उलटफेर की खबरों के बीच एनसीपी चीफ शरद पवार का भी बयान सामने आया है. उन्होंने ये साफ किया है कि पार्टी में कुछ भी नहीं चल रहा है. पवार ने कहा है कि मीडिया के मन में ही ये चर्चा है, विधायक पार्टी को मजबूत करने का काम कर रहे हैं. किसी की तरफ से कोई बैठक नहीं बुलाई गई है.
क्या दबाव में हैं अजित पवार?अब ये भी सवाल उठाया जा रह है कि क्या अजित पवार दबाव में आकर ये फैसला लेने जा रहे हैं? इसका संकेत तब मिला था जब शिवसेना नेता संजय राउत ने शरद पवार से मुलाकात के बाद सामना में एक संपादकीय लिखा था. जिसमें उन्होंने इस बात का जिक्र किया था कि शरद पवार के विधायकों और उनके परिवार पर दबाव है कि वो बीजेपी में चले जाएं. इसके लिए बीजेपी लगातार एनसीपी पर दबाव बना रही है. वहीं अजित पवार की चीनी मिलों को लेकर ईडी लगातार एक्शन में है, जिसके बाद कहा जा रहा है कि ईडी की कार्रवाई से बचने के लिए अजित पवार बीजेपी के साथ हाथ मिला सकते हैं. अजित पवार के अलावा एनसीपी के कई और नेताओं के खिलाफ भी केंद्रीय एजेंसियों की जांच चल रही है.
लोकसभा चुनाव के लिए काफी अहमफिलहाल महाराष्ट्र में सियासी उलटफेर की अटकलें ही लगाई जा रही हैं, हालांकि ये साफ है कि एनसीपी विधायकों ने अजित पवार से मुलाकात करना शुरू कर दिया है. महाराष्ट्र में जिस धमाके की अटकलें लगाई जा रही हैं, अगर वाकई वो होता है तो इसकी गूंज 2024 तक सुनाई देगी. दिल्ली की सियासत के लिए यूपी के बाद महाराष्ट्र सियासी दलों के लिए काफी अहम है. क्योंकि यहां लोकसभा की 48 सीटें हैं. पिछले चुनाव में बीजेपी को 23, शिवसेना को 18, एनसीपी को 4 और कांग्रेस को महज एक सीट मिली थी. अब ऐसे में अगर एनसीपी के ज्यादातर विधायक या फिर पूरी एनसीपी ही बीजेपी के साथ जाती है तो 2024 चुनाव में बीजेपी के लिए ये महाराष्ट्र में जीत का बड़ा फैक्टर हो सकता है.
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