बॉलीवुड डायरेक्टर आदित्य धर पिछले दिनों से लगातार चर्चा में हैं. यामी गौतम की गुपचुप शादी के बाद आदित्य धर के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ गई है. अपनी पहली ही फिल्म 'उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक' से आदित्य ने नेशनल अवॉर्ड में झंडा लहराया था. उनके इस हुनर ​​की भी काफी तारीफ हुई थी. लेकिन हर इंसान के जीवन में संघर्ष के बाद सफलता मिलती है. ऐसा ही एक दौर आदित्य धर के जीवन में भी था, जब वह काम की तलाश में घर-घर घूम रहे थे.

आदित्य धर ने एक इंटरव्यू में अपने संघर्ष और फिर सफलता की कहानी साझा की थी. आदित्य धर का नाम पहली बार 2008 में सुना गया था, जब उन्होंने 'काबुल एक्सप्रेस' के लिए गाने लिखे थे. फिर उसके बाद साल 2010 में अजय देवगन की फिल्म 'आक्रोश' के लिए डायलॉग लिखे थे. आदित्य का कहना है कि भले ही उनका नाम सिल्वर स्क्रीन पर पहली बार 2008 में दिखाई दिया, लेकिन सिनेमा की दुनिया में उनका डेब्यू 2006 में शुरू हुआ. आदित्य धर मुंबई में असिस्टेंट डायरेक्टर का सपना लेकर आए थे. वह कहते हैं, 'मैं रोज सुबह जल्दी उठ जाता था और प्रोडक्शन हाउस के बहार काम के लिए चक्कर लगाता था. मैंने सिनेमाघरों में काम किया और हमेशा सोचता था कि आखिर निर्देशक कैसे काम करते हैं.'

 

आदित्य ने इंडस्ट्री के उन दिनों को याद करते हुए खुलासा किया था और बताया कि, 'उन दिनों असिस्टेंट डायरेक्टर्स के साथ बहुत बुरा बर्ताव किया जाता था. कुछ ही प्रोडक्शन हाउस ऐसे थे जहां सहायक निदेशक से पानी मांगवाया जाता था. मैंने कुछ दिनों के लिए रेडियो जॉकी के रूप में भी काम किया. मेरे पास कुछ बचत थी, लेकिन वे खत्म होने लगी थीं.'

उन्होंने कहा कि फिर मैंने विधु विनोद चोपड़ा का प्रोडक्शन हाउस देखा. मैं वहां गया. मैं बुरी तरह थक गया था. मेरा कोई फिल्मी बैकग्राउंड भी नहीं था. मैं इंटर्न के रूप में काम करने के लिए भी तैयार था.'

आदित्‍य आगे बताते हैं, 'मैं जब उनके आफिस पहुंचा और वहां रिसेप्‍सनिस्‍ट से काम के लिए पूछा को उसने  मिथुन गंगोपाध्‍याय की तरफ देखा. मैंने उनसे बात की और मुझे पता चला कि एक इंसान फिल्‍म स्‍कूल में एडमिशन मिलने के कारण काम छोड़ रहा था. मैं बहुत लकी था और मुझे उसकी जगह मिल गई. तब मुझे पता चला असली स्‍ट्रगल ये होती है.'