हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के ऐसे हैंडसम सुपरस्टार जो किसी फिल्मी खानदान से ना होते हुए भी कामयाबी की ऊंचाइयों तक पहुंच गया. उनका स्टाइल, आवाज रुतबा ऐसा कि हर कोई देखता ही रह जाए. वो एक ऐसे कलाकार रहे जिन्होंने हिंदी फिल्मों को एक नई दिशा दी, उनका नाम था फिरोज़ खान. बॉलीवुड मे कई शानदार फिल्मों में अपनी अदाकारी का जलवा दिखाने वाले इस दिग्गज एक्टर ने एक विदेशी फिल्म 'टार्जन गोज टू इंडिया' से अपनी एक्टिंग करियर की शुरूआत की थी और इसी फिल्म से वो लोगों की नजरों में आ गए. जिसके बाद उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा और छा गए.


एक्टिंग में तो फिरोज़ खान का कोई जवाब नहीं था साथ ही जब उन्होंने निर्देशक की कमान संभाली तो उसमें भी उन्होंने खूब धमाल किया. बतौर डायेक्टर अपनी तीसरी ही फिल्म 'कुर्बानी' में अपने अनोखे अंदाज़ से उन्होंने टिकट खिड़की पर ऐसा कारनामा कर दिया कि लोग हैरान हो गए. साल 1980 में रिलीज हुई फिरोज़ खान ने फिल्म 'कुर्बानी' संजय गांधी के निधन के बाद उनकी याद में समर्पित किया था. इतना ही नहीं फिल्म की पहली रील में संजय गांधी के लिए एक श्रद्धांजलि भी बाद में जोड़ी गई थी. उस साल फिरोज़ खान, ज़ीनत अमान और विनोद खन्ना की इस शानदार फिल्म ने कमाई के मामले में इतिहास रच दिया था. वैसे आपको बता दें कि इस फिल्म में लीड रोल अमिताभ बच्चन को ऑफर हुआ था और फिरोज खुद विनोद खन्ना का किरदार निभाना चाहते थे मगर अमिताभ के पास अगले छह महीनों तक कोई डेट्स नहीं थीं और फिरोज़ फिल्म की शूटिंग जल्द से जल्द शुरू करना चाहते थे तो उन्होंने अमिताभ को जो रोल ऑफर किया उसे खुद निभाया.



साल 1980 में सबसे ज्यादा कमाई का रिकॉर्ड बनाने वाली फिल्म 'कुर्बानी' अकेले मुंबई में ही 3 हफ्तों तक हाउसफुल रही थी. इतना ही नहीं इंडिया से बाहर विदेशों में भी इस फिल्म ने ताबड़तोड़ कमाई की. खबरें तो ये भी हैं कि इस फिल्म ने इतनी तगड़ी कमाई की थी कि फिरोज के बैंगलोर वाले फार्महाउस में उन्होंने नोट गिनने के लिए पूरा एक दस्ता अलग से तैनात करवा लिया था. वैसे पैसों की बरसात तो होनी ही थी क्योंकि इस फिल्म की शूटिंग में ऐसे ऐसे कमाल हुए जो इससे पहले कोई सोच भी नहीं सकता था. आपको बता दें कि फिरोज़ ने फिल्म एक असली मर्सिडीज कार तबाह कर दी थी. ये वो समय था जब भारत में मंहगी गाड़ियां किसी किसी के पास ही हुआ करती थी और फिरोज़ ने इतनी मंहगी गाड़ी तहस-नहस कर दी. इतना ही नहीं उन्होंने एक गाने के लिए असली चांदी की तलवार भी बनवाई थी. उस वक्त इसे फिरोज़ का पागलपन कहना शुरू कर दिया था.



विनोद खन्ना का किरदार भी फिल्म 'कुर्बानी' में लोगों को खूब पसंद आया था, लेकिन उन्होंने भी इस फिल्म में काम करने की एक शर्त रखी थी. विनोद की शर्त थी कि फिल्म के मुंबई वितरण क्षेत्र में होने वाले प्रोफिट में उन्हें हिस्सा दिया जाए, जिसे फिरोज़ ने मान भी लिया और कॉन्ट्रेक्ट पर साइन भी कर दिए, लेकिन जब 'कुर्बानी' रिलीज हुई और टिकट खिड़की पर पैसों की बरसात होने लगी तब तक विनोद बॉलीवुड को अलविदा कह ओशो के हो चुके थे. फिल्म की बंपर कमाई में इसके संगीत का बहुत बड़ा हाथ रहा. 'कुर्बानी' को फिल्मफेयर में कुल 6 नॉमीनेशन मिले, जिनमें से 3 म्यूजिक के लिए थे. पहला अवॉर्ड कल्याणजी आनंदजी को मिला. दूसरा, फिल्म के मशहूर गाना 'लैला ओ लैला' के लिए कंचन को मिला.

लेकिन फिल्म के सभी गानों में से इकलौता फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला 'आप जैसा कोई मेरी जिंदगी में आए' गाने वाली सिंगर नाजिया हसन को. फिल्म के सभी गाने इतने ज्यादा पॉपुलर हुए कि सिर्फ 6 महीने में फिल्म कुर्बानी के संगीत के 10 लाख यूनिट्स बिके और फिल्म के संगीत ने प्लैटिनम डिस्क का दर्जा हासिल कर लिया था.