मुंबई: फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एंप्लॉयज (FWICE) ने अपनी मांगों के पूरे नहीं होने के चलते 15 अगस्त से अनिश्चकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है. इस हड़ताल की वजह से 16 अगस्त से फिल्मों और टीवी शोज की शूटिंग पर काफी असर पड़ सकता है.
फेडरेशन का कहना है कि निर्माताओं की संस्थाओं ने 2015 से शुरू होकर अगले 5 साल तक प्रति साल के हिसाब से वर्करों की मजदूरी में एक तयुशदा रकम की बढ़ोतरी का वादा किया था. मगर यह वादा निभाया नहीं गया और पहले साल में महज 13 प्रतिशत बढ़ोतरी करने के बाद अगले साल से 7.5 फीसदी इज़ाफा ही किया गया है.
ये हैं अन्य मांगे
इस प्रमुख मांग के अलावा फेडरेशन की और से अन्य मांगों में 12 घंटे की शिफ्ट की बजाय 8 घंटे की शिफ्ट में काम करने का नियम बनाना, मेडिकल इंशयोरेंस की व्यवस्था करना है, सेट पर साफ सफाई और मज़दूरों को अच्छा खाना उपलब्ध कराना, साफ टॉयलेट मुहैया करवाना भी शामिल हैं.
फेडरेशन से जुड़ी हुई हैं मजदूरों की 22 यूनियन
आपको बता दें इस फेडरेशन से कामगारों की 22 यूनियन जुड़ी हुई हैं, मगर अलाइड मजदूर यूनियन (AMU) दो धड़ों में बंट गया है, जिसमें से एक हड़ताल के विरोध में है. इंडियन फिल्म एंड प्रोड्यूसर काउंसिल (IFTPC) के मुताबिक, फेडरेशन की कुछ और संस्थाएं भी हड़ताल के पक्ष में नहीं हैं.
IFTPC के अध्यक्ष जेडी मजीठिया और सदस्य श्याम भट्टाचार्याजी ने सफाई देते हुए बताया है कि बढ़ोतरी करने की बात शर्तो के साथ कही गई थी. IFWICE ने कुछ शर्तें नहीं मानीं और यही वजह है कि ऐसे में वो भी अपना वादा पूरा करने में असमर्थ हैं. उन्होंने बताया है कि (FWICE) की बाकी मांगों में भी दम नहीं है.
2015 में निर्माताओं नहीं साइन किया था MOU
आपको बता दें कि 2015 में निर्माताओं की संस्थाओं और FWICE के बीच मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग साइन नहीं किया गया था क्योंकि निर्माता विपुल शाह ने बोम्बे हाई कोर्ट में मोनोपोलिस्टिक ट्रेड प्रैक्टिस के खिलाफ कंपीटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) एक याचिका दाखिल की थी. इस याचिका के मुताबिक एक निर्माता के तौर पर उन्हें किसी भी वर्कर के साथ और मन मुताबिक रेट पर काम करने की आजादी का हक होना चाहिए. यह मामला अभी कोर्ट में लम्बित है और जल्द ही इसका भी फैसला आ सकता है. पिछली बार दोनों पार्टियों (निर्माताओं की संस्थाओं और FWICE) के बीच MoU 2010 में साइन किया गया था.
द फिल्म एंड टेलीविजन प्रोड्युसर गिल्ड आॉफ इंडिया लिमिटेडके ज्यादातर सदस्य फिल्म निर्माता हैं. इस संस्था ने हाल ही में FWICE और उससे जुड़े तमाम यूनियन के खिलाफ बोम्बे कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसके अंतरिम आदेश के मुताबिक यूनियन के सदस्य किसी भी निर्माता के साथ काम के इच्छुक सदस्यों को काम करने से जबरन नहीं रोक सकते हैं. आदेश के मुताबिक, यूनियन के सदस्यॊं को शूटिंग स्थलों पर इकट्ठा होने, शूटिंग में व्यवधान पैदा करने, हिंसक रवैया अपनान और वहां किसी भी तरह का प्रदर्शन करने की भी मनाई है.