दूरदर्शन ने 15 सितंबर 2019 को अपनी स्‍थापना के 60 साल पूरे कर लिए. इसी दिन 1959 को दूरदर्शन की शुरुआत प्रायोगिक तौर पर की गई थी. अपने साठ साल का लंबा सफर तय करते हुए दूरदर्शन आज दुनिया के सबसे बड़े लोक प्रसारकों में से एक बन चुका है और राष्‍ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है. देश की कई पीढि़यां दूरदर्शन देखकर बड़ी हुई हैं.


जहां तक समाचारों की विश्‍वसनीयता और लोक प्रसारक की भूमिका तथा मनोरंजन के माध्‍यम की बात है, दूरदर्शन का कोई मुकाबला नहीं है. रामायण, महाभारत, हम लोग, बुनियाद, मालगुड़ी डेज़ और उड़ान जैसे पुराने दौर के कार्यक्रमों से लेकर आज के समय में राष्‍ट्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय घटनाओं की हाईटैक कवरेज और स्‍वास्‍थ्‍य, शिक्षा और सशक्तिकरण जैसे विषयों पर प्रभावित कार्यक्रम का सवाल है दूरदर्शन सभी आयु वर्ग के लोगों का पसंदीदा प्रसारण माध्‍यम बना हुआ है. यह देश के सामाजिक ताने-बाने को समृद्ध बनाने में भी बड़ा योगदान कर रहा है.


इस अवसर पर दूरदर्शन की स्थापना दिवस की सालगिरह पर एक आयोजन नई दिल्ली में आयोजित किया गया. इस अवसर पर श्री जावड़ेकर ने दूरदर्शन की तरफ से दिखाए गए पिछले 60 सालों में दिखाए गए सीरियल और भूमिका को रेखांकित किया. उन्‍होंने दूरदर्शन की तरफ से दिखाए गए पुराने कार्यक्रमों की याद दिलाते हुए कहा कि किस तरह दूरदर्शन सालों से से लोगों का मनोरंजन करता आ रहा है.



आज दूरदर्शन टीवी की सीमितता से निकल कर मोबाइल पर भी सक्रिय हो गया है. इसका जिक्र करते हुए श्री जावडेकर ने दूरदर्शन द्वारा नई तकनीक के अपनाए जाने का जिक्र करते हुए कहा कि आज दूरदर्शन डिजिटल माध्‍यमों के जरिए लोगों की हथेलियों पर मोबाइल एप के रूप में पहुंच गया है. उन्‍होंने इस अवसर पर डीडी फ्रीडिश के तेजी से हो रहे विस्‍तार और इस पर ज्‍यादा से ज्‍यादा चैनलों द्वारा खुद को दिखाए जाने की होड़ का भी उल्‍लेख किया.


श्री जावड़ेकर ने कहा कि दूरदर्शन की विश्‍वसनीयता ही उसका यूएसपी है. उन्‍होंने कहा, ''डीडी इंडिया अब जल्‍दी ही पूरी दुनिया में देखा जा सकेगा." जावडेकर ने दिखाई जाने वाली कंटेंट की क्वालिटी में सुधार के महत्‍व पर जोर देते हुए प्रतिभावान अधिकारियों को शामिल करने के प्रसार भारती के फैसले की सराहना की.


इस अवसर पर अमिताभ बच्‍चन की आवाज में रिकॉर्ड की गई श्री आलोक श्रीवास्‍तव की कविता भी जारी की. यह कविता श्री बच्‍चन ने खासतौर से दूरदर्शन को समर्पित की है. इसमें दूरदर्शन द्वारा भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत को संरक्षित रखने और प्रोत्‍साहित करने, महिला सशक्तिकरण तथा हरित क्रांति को बढ़ावा देने का जिक्र किया गया है. इसके जरिए दूरदर्शन के पिछले 60 सालों की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए यह बताने की कोशिश भी की गई है कि किस तरह से दूरदर्शन नये भारत का प्रतीक बन चुका है.