नई दिल्ली: मनुष्य की आंख का प्रतीक बताये जाने वाले दूरदर्शन का मौजूदा लोगो जल्द ही बीते समय की बात हो सकता है. क्योंकि सरकारी ब्रॉडकास्टर दूरदर्शन युवाओं से संपर्क बढ़ाने के साथ ही दूरदर्शन के ब्रांड से जुड़ी ‘पुरानी यादों’ का संरक्षण भी चाहता है.
दूरदर्शन ने मौजूदा लोगो को बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मौजूदा लोगो का इस्तेमाल दूरदर्शन 1959 से कर रहा है. देशभर में दूरदर्शन 23 चैनलों का प्रसारण करता है और उसने एक लोगो डिजाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया है जिसके विजेता को एक लाख रूपया बतौर पुरस्कार दिया जायेगा.
दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो का संचालन करने वाली प्रसार भारती के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शशि एस वेंपति ने कहा, ‘‘देश की कई पीढ़ियों के लिये दूरदर्शन ब्रांड और लोगो यादों से जुड़ा है. आज देश की अधिसंख्य आबादी 30 साल से कम उम्र की है और दूरदर्शन को लेकर उनकी वैसी यादें नहीं हैं जैसी इससे पहले की पीढ़ी की हैं.’’ भारत की करीब 65 फीसदी आबादी 35 साल से कम उम्र की है.