आपने फिल्म ‘शोले’(Sholay) तो देखी ही होगी, बॉलीवुड के इतिहास में कालजई फिल्म के तौर पर शुमार ‘शोले’ में ‘मौसी’ का किरदार निभाने वाले लीला मिश्रा (Leela Mishra) के बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं. साल 1975 में आई शोले के सुपरहिट होते ही लीला मिश्रा की पॉपुलैरिटी में चार चांद लग गए थे. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो लीला को इस फिल्म के बाद लोग ‘मौसी’ के नाम से ही जानने लगे थे. 


बताया जाता है कि लीला की शादी मात्र 12 साल की उम्र में राम प्रसाद मिश्रा नाम के एक व्यक्ति से हुई थी. शादी के कुछ सालों बाद ही मात्र 17 साल की उम्र में लीला मां भी बन गई थीं. लीला के पति राम प्रसाद को एक्टिंग का शौक था और कहते हैं वो जब मुंबई आए तो साथ में लीला भी आ गईं. यहां उन्हें एक फिल्म का ऑफर मिला था. कहते हैं कि लीला फिल्म में काम करने के लिए उन्हें उस ज़माने में 500 रुपए तक ऑफर किए गए थे जबकि तब उनके पति को 150 रुपए मिला करते थे. 


बहरहाल, जिस फिल्म के लिए लीला को यह पैसे मिले थे एक्टिंग ना कर पाने के चलते उनके हाथ से वह चली गई थी. हालांकि, इसके बाद समय के साथ लीला की किस्मत भी बदली और वो फिल्मों में सपोर्टिंग रोल्स में आने लगीं. आपको बता दें कि लीला ने लगभग चार दशकों तक फिल्मों में काम किया है. उन्हें मां का  रोल कैसे मिलना शुरू हुए इसके पीछे भी एक दिलचस्प किस्सा है. 




करियर के शुरुआत में लीला किसी भी मर्द को छूती नहीं थीं. ऐसे में उन्हें कई फिल्मों से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता था. एक बार किसी फिल्म में बतौर एक्ट्रेस उन्हें हीरो शाहू मोदक को गले लगाना था लेकिन लीला इसके लिए राज़ी नहीं हुईं ऐसे में मेकर्स ने उन्हें शाहू मोदक की मां का किरदार थमा दिया, बस फिर क्या था बॉलीवुड को अपनी फिल्मों के लिए एक बेहतरीन मां मिल चुकी थी. आपको बताते चलें कि लीला मिश्रा को आज भी चश्मे बद्दूर, प्रेम रोग, शोले, आवारा, प्यासा आदि फिल्मों के लिए जाना जाता है.


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