अनुराग कश्यप निर्देशित फिल्म 'निशांची' में ऐश्वर्या ठाकरे, वेदिका पिंटो, मोनिका पंवार जैसे कलाकारों ने अहम रोल प्ले किया है. ये फिल्म इसी साल सितंबर में सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई थी हालांकि बॉक्स ऑफिस पर इसकी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं रही और कमाई भी कम रही. ये फिल्म एक एक्साइटिंग मोड़ पर खत्म हुई थी, जिससे दूसरी इंस्टॉलमेंट को लेकर उम्मीद जगी थी. वहीं अब, दो महीने बाद, 'निशांची 1’ के साथ  चुपचाप 'निशांची 2’ भी एक स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ हो गई है.

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निशांची पार्ट 1-2 कहां हुई रिलीज? बता दें कि 'निशांची 1’ की स्ट्रीमिंग 14 नवंबर को अमेज़न प्राइम वीडियो पर शुरू हुई थी. हालाँकि, निर्माताओं ने बिना किसी अनाउंसमेंट के, उसी दिन पार्ट 2 रिलीज़ करके फैंस को चौंका दिया. यानी दोनों पार्ट्स को प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम किया जा सकता है.

'निशांची 2’ को चुपचाप क्यों OTT पर किया गया रिलीज? हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अनुराग कश्यप ने 'निशांची 2’ को चुपचाप ओटीटी पर रिलीज करने की वजह बताई है. उन्होंने कहा 'निशांची 2’ को ओटीटी पर रिलीज़ करना उनका सुझाव था, और "अमेज़न (निर्माताओं) और हमारे बीच कलेक्टिव फैसला" था.

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उन्होंने कहा, "अगर दर्शक पहले भाग के लिए आते, तो दूसरा भाग सिनेमाघरों में रिलीज़ न होता, ऐसा हो ही नहीं सकता था. और क्योंकि ज़्यादातर लोगों का रिएक्शन यही था कि फ़िल्म सभी को अधूरी लगी, इसलिए उन्हें पूरा एक्सपीरियंस देने का फ़ैसला किया गया."

'निशांची 2’ का प्रमोशन क्यों नहीं किया गया'निशांची’ की दूसरी किस्त की सीधे ओटीटी रिलीज़ का प्रमोशन नहीं किया गया था. इस बारे में विस्तार से बताते हुए, अनुराग कहते हैं कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि किसी भी फ़िल्म के लिए सिनेमाघरों और ओटीटी रिलीज़ के बीच आठ हफ़्ते का समय जरूरी होता है.

अनुराग कश्यप ने कहा, “ थिएटर-ओटीटी रूल्स की वजह से कोई मार्केटिंग नहीं हो पा रही थी... थिएटर आठ हफ़्तों तक फ़िल्म का प्रमोशन या उसे कहीं भी रिलीज़ करने की इजाज़त नहीं देते, और ओटीटी को अपना काम करना पड़ता है. ये और बात है कि थिएटर ख़ुद इसे फॉलो नहीं करते. अगर फ़िल्म रिलीज़ नहीं होती, तो वे शो कैंसिल कर देते हैं और फ़िल्म को बाहर कर देते हैं, जिससे लोगों की ज़ुबान पर फ़िल्म नहीं आती.  नॉन-टेंट-पोल फ़िल्मों के साथ उनका व्यवहार ऐसा ही है.  ये काफ़ी एकतरफ़ा है, और मैंने अपने पूरे करियर में अपनी फ़िल्मों को खुद एग्जीबिटर्स द्वारा ही नकारे जाते देखा है. हम ख़ुशकिस्मत थे कि हमारे पास एक स्टूडियो था, जिसके पास एक स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म भी है, जो हमारी फ़िल्म का निर्माण कर रहा था और हमारा सपोर्ट कर रहा था."