कुछ फिल्में सिर्फ अपने वक्त में मशहूर होती हैं तो कुछ आने वाली कई पीढ़ियों को भी एंटरटेन करती रहती हैं. यही अंतर है एक अच्छी फिल्म और एक  क्लासिक फिल्म के बीच, जैसे 1960 में रिलीज हुई फिल्म मुगल-ए-आज़म(Mughal-e-Azam) हिंदी सिनेमा की क्लासिक फिल्मों में से एक मानी जाती है. वैसे तो अब तक इस कहानी पर 4 फिल्में बन चुकी हैं, लेकिन मुगल-ए-आज़म का जादू कुछ और ही है. निर्देशक के.आसिफ ने अपना सारा हुनर इस एक फिल्म में डाल दिया जिसका नतीजा ये निकला कि इस फिल्म को ऑल टाइम हिंदी क्लासिक फिल्म का दर्जा हासिल हो गया.



फिल्म मुगल-ए-आज़म में के. आसिफ ने भारतीय इतिहास को एक शानदार अध्याय में बदल दिया. इस फिल्म की कहानी में वो सभी चीजें थी जो एक फिल्म को ब्लॉक बस्टर बनाने के लिए जरूरी होती हैं. एक इमोशनल लवर, एक खूबसूरत प्रेमिका दो प्रेमियों के रास्ते में समाज और परिवार की बाधाएं, दर्शकों को ऐसा लगता है जैसे ये कोई कहानी नहीं बल्कि असल जिंदगी हो. गहरे प्रेम की ऐसी कहानी जिसे के.आसिफ ने मुगल दुनिया के बीच में बड़ी ही खूबसूरती से बुना.


हालांकि इससे पहले भी भारतीय दर्शकों ने फिल्मों में शाही परिवारों, युद्ध के सीन, एक्शन, गीतों और डांस से भरी कहानियों को देखा था. लेकिन डायरेक्टर के. आसिफ ने इन सभी पहलुओं को जिस तरह से पर्दे पर उतारा वो लाजवाब था. आपको जानकर हैरानी होगी कि 60 साल पहले इस फिल्म के 7 मिनट के युद्ध सीन को फिल्माने के लिए राजस्थान में दो महीनों तक शूटिंग हुई. आउटडोर युद्ध सीन को फिल्माने के लिए 16 कैमरे लगाए गए थे, ऐसा बताया जाता है कि भारतीय सेना की जयपुर कवलरी की 56वीं रेजिमेंट के करीब 8 हजार सैनिकों ने इस सीन में हिस्सा लिया था.



के. आसिफ द्वारा निर्मित फिल्म के खूबसूरत सेट ना सिर्फ बड़े बल्कि मन को मोह लेने वाले थे. शीश-महल में फिल्म का मशहूर गाना 'जब प्यार किया तो डरना क्या' जिस तरह फिल्माया गया, उसे हॉलीवुड वालों के लिए भी असंभव माना जाता था, लेकिन सिनेमैटोग्राफर आर डी माथुर ने इस चैलेंज को कुबूल किया और जो परिणाम निकलकर सामने आया उससे हर कोई वाकिफ है.



अकबर के रूप में पृथ्वीराज कपूर, राजकुमार सलीम के रूप में दिलीप कुमार, जोधाबाई के रूप में दुर्गा खोटे, बहार के रूप में निगार सुल्ताना और अनारकली के रूप में मधुबाला ने शानदार अदाकारी की और दर्शकों के दिलों में अपनी ऐसी छाप छोड़ी कि आज भी उनके किरदार फैंस के दिलों में और डायलॉग लोगों की ज़ुबान पर होते हैं.