Kissa-e-Bollywood: बात होली की हो और जिक्र बॉलीवुड का न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. लेकिन बॉलीवुड में होली का जिक्र तब तक अधूरा है, जब तक शोमैन राजकपूर की होली की बात न हो. राजकपूर की होली के किस्से आज भी मशहूर हैं. राजकपूर की होली कई मायनो में खास हुआ करती थी.


हिंदी सिनेमा को विश्व पटल पर शोहरत दिलाने में राजकपूर का बहुत बड़ा योगदान है. उनकी फिल्में सीमाओं से परे थीं. उनकी फिल्में जितनी भारत में लोकप्रिय थी उतनी ही उनकी लोकप्रियता रूस और जापान में थी. उन्होंने हिंदी सिनेमा को ऊंचाई देने के लिए हर वो प्रयास किए जो उस जमाने में कोई सोच भी नहीं सकता था. हिंदी सिनेमा को निखारने के लिए राजकपूर ने पटकथा और संगीत से लेकर तकनीक की हर विधा को आत्मसात किया. यही वजह है कि उनकी फिल्में इतने बरस बीत जाने के बाद भी लोगों को प्रभावित करती हैं.


राजकपूर को मेजबानी का बहुत शौक था. वे अक्सर चेम्बूर स्थित अपने 'आरके स्टूडियो' में पार्टियां दिया करते थे. लेकिन उनकी होली की पार्टी सबसे ज्यादा मशहूर थी. पूरे मुंबई में उनकी होली पार्टी मशहूर थी. जिसमें इंडस्ट्री का हर छोटा बड़ा कलाकार होली खेलने के लिए आता था.


राजकपूर की होली खेलने का अदांज भी निराला था. वे जमकर हुड़दंग करते थे. खूब गाना बजाना हुआ करता था. उनकी होली की जो सबसे विशेष बात हुआ करती थी वो थी उनके स्टूडियो में बना एक पौंड. जिसमें होली के दिन ढेरों रंग पानी में मिला दिया जाता था. उनकी होली में ये परंपरा थी कि जो भी होली खेलने आएगा उसे इस पौंड में डुबकी लगानी होगी. जो ऐसा नहीं करता था उसे राजकपूर स्वयं पकड़कर रंग से भरे पौंड में डुबकी लगवाते थे.


होली के दौरान नाच गाना के साथ खाने-पीने का भी शानदार इंतजाम हुआ करता था. मेहमानों के लिए खाने के लिए एक से बढ़कर एक व्यंजन परोसे जाते थे. आज राजकपूर हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी होली को आज भी लोग मिस करते हैं.


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