Kissa-E-Bollywood: ये दौर 90 के दशक का था. युवा उमंग से भरे हुए थे. इन युवाओं के अपने सपने थे. उनके अपने जज्बात थे. देश बदल रहा था. आर्थिक उदारीकरण की नींव तैयार हो चुकी थी. साल था 1992 का. इसी साल दो घटनाएं हुई. देश में आर्थिक उदारीकरण और बॉलीवुड में शाहरूख खान का दौर शुरू हुआ.


इस बदलाव को डायरेक्टर राज कंवर ने सबसे पहले भांव लिया. 90 के दौर के युवाओं की सोच जिसमें झलकती  हो राजकंवर को अपनी फिल्म 'दिवाना' के लिए एक ऐसे ही हीरो की तलाश थी. जब उन्हें शाहरूख खान के बारे में पता चला तो उन्होंने पहले ही नजर में समझ लिया कि जिसकी वे तलाश कर रहे हैं वो कोई नहीं है बल्कि शाहरूख ही हैं. फिल्म 'दिवाना' शाहरूख खान की पहली फिल्म थी. इस फिल्म में ऋषि कपूर और दिव्या भारती भी थीं. लेकिन फिल्म रिलीज होने के बाद सबसे अधिक चर्चा शाहरूख खान की हुई. इस फिल्म के बाद शाहरूख खान बॉलीवुड का चमकता सितारा बन गए.


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डायरेक्टर राजकंवर ही वे पहले शख्स थे जिसने शाहरूख खान की प्रतिभा पर आंख बंद कर यकीन किया था. राज कंवर ने बाद में एक से बढ़कर एक फिल्में बनाई जो बहुत कामयाब हुईं. इसके बाद उन्होंने फिल्म 'लाड़ला','कर्तव्य', 'जान', 'जीत', 'जुदाई', 'इतिहास', 'दाग द फायर' सहित कई फिल्में बनाई. जो सभी सफल रहीं. कुछ फिल्मों ने तो बॉक्स आफिस पर रिकार्ड भी बनाए. राज कंवर ने अपने छोटे से फिल्मी करियर में महज 16 फिल्में ही बनाईं.


राज कंवर के बारे में कहा जाता है कि वे मुंबई आए तो थे हीरो बनने लेकिन यहां आकर उन्हें पता चल गया कि उनकी मंजिल एक्टिंग नहीं है. बल्कि उनकी मंजिल तो कैमरे के पीछे है. राज कंवर के भाई के. पप्पू भी जानेमाने डायरेक्टर थे. जिनके कहने पर उन्होंने मशहूर निर्माता निर्देशक शेखर कपूर के साथ बतौर अस्सिटेंट डायरेक्टर काम शुरू किया. राज कंवर शेखर कपूर को अपना गुरू मानते थे. राज कंवर अपने दर्शकों के लिए कई और भी फिल्में बनाना चाहते थे लेकिन उनकी दोनों किडनियां खराब हो गईं. जिसके चलते महज 51 साल की उम्र में ही उन्होनें इस दुनिया को छोड़ दिया.


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