Yash Chopra Unknown Facts: पहले उन्होंने 'धूल का फूल' खिलाया, फिर दुनिया को 'धर्मपुत्र' से रूबरू कराया. इसके बाद उन्होंने 'वक्त' का हवाला देते हुए 'आदमी और इंसान' का फर्क समझाया और बॉक्स ऑफिस पर कामयाबी का 'इत्तेफाक' आम कर दिया. बात हो रही है किंग ऑफ रोमांस के नाम से मशहूर रहे फिल्म डायरेक्टर यश चोपड़ा की, जिन्होंने इस दुनिया में आज ही के दिन पहला कदम रखा था. बर्थ एनिवर्सरी स्पेशल में हम आपको यश चोपड़ा की जिंदगी के उस किस्से से रूबरू करा रहे हैं, जिसके बारे में आपने शायद ही सुना होगा. 


दुनिया को सिखाया रोमांस करने का तरीका


27 सितंबर 1932 के दिन ब्रिटिश इंडिया के लाहौर (अब पाकिस्तान का हिस्सा) में जन्मे यश चोपड़ा किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. वह उन सेलेब्स में शुमार हैं, जो बंटवारे से पहले ही हिंदुस्तान आ गए. इसके बाद वह मुंबई पहुंच गए और फिल्मी दुनिया  बॉलीवुड की दुनिया में यश चोपड़ा वह शख्स साबित हुए, जिन्होंने दुनिया को रोमांस करना सिखाया. सरसों से लहलहाते खेतों में शिफॉन की साड़ियों से सजी हसीनाओं को बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ दुनिया से रूबरू कराया. रिमझिम बारिश में हसीनाओं के हुस्न से आग लगाने की कलाई दिखाई. 


इंजीनियर के लिए लंदन जाने वाले थे यश चोपड़ा


आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे कि यश चोपड़ा तो इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए लंदन जाने वाले थे, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. वह अपने बड़े भाई बीआर चोपड़ा के पास मुंबई आ गए और फिल्मी दुनिया में रम गए. शुरुआत में यश चोपड़ा अपने बड़े भाई बीआर चोपड़ा के साथ ही काम करने लगे और फिल्मों के निर्देशन में उन्हें असिस्ट करने लगे. 


इस हसीना के कहने पर 'किंग ऑफ रोमांस' बने थे यश चोपड़ा


कुछ समय बाद उस जमाने की दिग्गज एक्ट्रेस वैजयंतीमाला ने यश चोपड़ा को फिल्म निर्देशन पर ध्यान देने की सलाह दी. दरअसल, वैजयंतीमाला ने यश चोपड़ा के हुनर को पहचान लिया था. यह खुलासा यश चोपड़ा ने खुद एक इंटरव्यू में किया था. वैजयंतीमाला की सलाह के बाद ही यश चोपड़ा ने धीरे-धीरे फिल्मों का निर्देशन शुरू कर दिया. इसके बाद उन्होंने यशराज फिल्म्स की नींव रखी, फिर उन्होंने कभी-कभी, काला पत्थर, सिलसिला, डर, दिल तो पागल है, वीर जारा और जब तक है जान आदि फिल्में बनाकर दुनिया को रोमांस करना सिखाया. साथ ही, खुद भी किंग ऑफ रोमांस कहलाने लगे.


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