आज महिला दिवस के मौके पर हम आपको देश की एक ऐसी जाबांज बेटी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने युद्ध में फंसे सैनिकों को न सिर्फ मेडिकल मदद की बल्कि दुश्मन से भी लोहा लिया.आज हम आपको देश की पहली वुमेन पायलट गुंजन सक्सेना के बारे में बता रहे हैं जो युद्ध में हिस्सा लेने वाली पहली महिला पायलट हैं.


गुंजन सक्सेना देश की उन बेटियों में शामिल हैं जिन्होंने भारतीय वायुसेना में महिलाओं की एंट्री को और मजबूत किया है. गुंजन सक्सेना ने 1994 में भारतीय वायुसेना को बतौर वुमेन ट्रेनी पायलट ज्वाइन किया था. इसके बाद गुंजन के प्राक्रम की कहानी देश सहित पूरी दुनिया ने सुनी. गुंजन को शौर्य चक्र अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है.



इस महिला दिवस पर बॉलिवुड स्टार तापसी पन्नू और भूमि पेडनेकर ने सिर्फ UC Browser पर एक शानदार कविता पढ़ी है. लाखों लोग इसके बारे में बात कर रहे हैं और इसे UC Browser के सुना क्या टैग कार्ड में देखा जा सकता है. इस महिला दिवस पर UC सुना क्या टैग कार्ड न सिर्फ महिलाओं से संबंधित खबरों को प्रमुखता दे रहा है बल्कि वहां ऐसी खबरें भी पब्लिश की गई हैं जिनसे महिलाओं का आदर-सम्मान बढ़ता है. यूजर्स महिला दिवस संबंधित आर्टिकल और वीडियो UC सुना क्या टैग कार्ड में देख सकते हैं.


कारगिल युद्ध में गुंजन ने निभाई अहम भूमिका


देश की सेवा करने के उद्देश्य से 1994 में भारतीय वायुसेना ज्वाइन करने वाली गुंजन को साल 1999 में अपनी वीरता का पराक्रम दिखाने का मौका मिला. गुंजन की पहली पोस्टिंग जम्मू कश्मीर के उधमपुर में हुई थी. साल 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया और गुंजन को लेफ्टिनेंट श्रीविद्या राजन के साथ युद्ध क्षेत्र में भेजा गया. कारगिल युद्ध में के दौरान भारतीय सेना ने दो बड़े ऑपरेशन किए थे, ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन सफेद सागर. गुंजन को ऑपरेशन विजय का हिस्सा बनाया गया था. उस दौरान गुंजन को युद्धक्षेत्र से घायल जवानों को अस्पताल तक पहुंचाने और युद्ध क्षेत्र से पाकिस्तान की पोजिशन पर नजर रखना था.



इससे पहले महिलाओं को युद्धक्षेत्र में जाने की अनुमति नहीं हुआ करती थी. लेकिन कारगिल युद्ध ने इस रीति को तोड़ दिया. उस दौरान भारतीय सेना को युद्ध में जीत के लिए सभी पायलट्स की जरूरत थी. युद्ध में स्थिति बिगड़ी और पुरुष पायलट के साथ-साथ सभी महिला पायलट्स को भी वॉरजोन में बुलाया गया.


गुजंन को इस दौरान पाकिस्तान पर एयरिल नजर रखने के साथ-साथ द्रास और बटालिक क्षेत्र से भारतीय सेना के घायल जवानों को निकालना था. गुंजन के इस काम को पाकिस्तान की ओर से हो रही लगातार फायरिंग ने और भी मुश्किल बना दिया था. एक इंटरव्यू के दौरान गुंजन ने एक बार कहा था कि उस क्षेत्र में दुश्मन से खुद को बचाते हुए नजर रखना बेहद मुश्किल काम था. साथ ही बार बार सेना के घायल जवानों को निकलाने के लिए नीचे जाना एक जोखिम भरा काम था. जवानों को वहां से निकालते हुए गुंजन के हैलिकॉप्टर में आग भी लग गई थी लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत नहीं हारी. गुंजन ने कहा कि जवानों की जान की रक्षा करने के लिए हमें ऐसा करना था. जवानों के लहू ने ही मुझे इस मिशन पर सबसे ज्यादा प्रोत्साहित किया.


2004 में ली रिटायरमेंट


गुंजन सक्सेना एक आर्मी परिवार से ही ताल्लुक रखती हैं. उनके पिता और भाई दोनों ही उस दौरान भारतीय सेना में कार्यरत थे. गुंजन सक्सेना की शादी भी एक भारतीय वायुसेना के फाइटर पायलट से हुई है. साल 2004 में उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया और वायुसेना में 7 साल की सर्विस देने के बाद रिटायर हो गईं. अब गुंजन एक होममेकर हैं और गुजरात में रहती हैं.


पढ़ाई की बात करें तो गुंजन ने दिल्ली के हंसराज कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की है. अपनी ग्रेजुएशन के वक्त ही गुंजन ने सफदरजंग फ्लाइंग क्लब ज्वाइन कर लिया था. जहां उन्होंने बेसिक ट्रेनिंग ली. इसके बाद साल 1994 में पहली बार 25 महिला पायलट्स को एयरफोर्स ज्वाइन करने का मौका मिला.


पर्दे पर दिखेगी गुंजन सक्सेना की कहानी 


गुंजन सक्सेना की कहानी अब बहुत जल्द बड़े पर्दे पर भी नजर आने वाली है. गुंजन सक्सेना पर बन रही इस बायोपिक का नाम कारगिल गर्ल रखा गया है. फिल्म का निर्माण धर्मा प्रोडक्शन कर रहा है और इसका निर्देशन  शरण शर्मा कर रहे हैं. इस फिल्म में गुंजन सक्सेना का किरदार जाह्नवी कपूर निभा रही हैं. गुंजन सक्सेना के किरदार को समझने के लिए जाह्नवी कपूर ने उनसे मुलाकात भी की है. इस फिल्म की शूटिंग शुरू हो चुकी है और सेट से कुछ तस्वीरें भी सामने आईं हैं.


फिल्म को लेकर निर्माता करण जौहर का कहना है कि इस फिल्म के लिए जाह्नवी एक दम सही च्वाइस हैं. उनकी पर्सनालिटी और एटिट्यूड गुंजन से काफी मिलता है. हालांकि फिल्म जाह्नवी सच में हैलिकॉप्टर उड़ाती नजर नहीं आएंगी. लेकिन वो सीखेंगी कि ये कैसे काम करता है.