फिल्म - द स्काई इज पिंक


निर्देशक- शोनाली बोस


स्टारकास्ट - प्रियंका चोपड़ा, फरहान अख्तर, जायरा वसीम, रोहित सराफ


रेटिंग - ****


''जिंदगी बड़ी होनी चाहिए, लंबी नहीं '' वैसे तो ये डायलॉग 1971 में आई राजेश खन्ना की सुपरहिट फिल्म 'आनंद' का है. लेकिन ये डायलॉग कल जितना वैलिड था उतना ही आज भी है और आने वाले कल में ये उतना ही वैलिड रहेगा. निर्देशक शोनाली बोस की फिल्म 'द स्काई इज पिंक' भी यही कहने की कोशिश कर रही है. ये फिल्म दिवंगत मोटिवेशनल स्पीकर और ऑथर आयशा चौधरी की रियल लाइफ स्टोरी पर आधारित है. आयशा ने सिर्फ 18 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया था.


फिल्म में जायरा वसीम ने आयशा का किरदार निभाया है. यूं तो जायरा पहले भी अपनी परफॉर्मेंस से अपने टैलेंट का लोहा मनवा चुकी हैं लेकिन उनकी इस फिल्म की परफॉर्मेंस इसलिए भी खास है क्योंकि वो अब इस फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कह चुकी हैं. फिल्म से प्रियंका चोपड़ा जोनास भी हिंदी फिल्मों में वापसी कर रही हैं और उनके कमबैक के लिए इससे अच्छी स्क्रिप्ट शायद ही कोई और हो सकती थी. इस बार पर्दे पर लौटीं प्रियंका चोपड़ा अपने क्राफ्ट में पहले से भी ज्यादा मैच्योर लगीं और शानदार काम किया. इसके अलावा निर्देशक, कलाकार, स्क्रीनप्ले, कहानी फिल्म हर एक पहलू पर खरी उतरती दिखाई देती है.



कहानी


'द स्काई इज पिंक' एक ऐसे मां-बाप के सफर की कहानी जो दिखाती है कि पेरेंट्स किस हद तक अपने बच्चे की सलामती के लिए मेहनत करते हैं. एक माता पिता अपने बच्चे की परवरिश में अपने आप को भी भूल जाते हैं. फिल्म में प्रियंका चोपड़ा का एक डायलॉग पेरेंट्स की इस भावना को खूबसूरती से खुद में समेटता है. फिल्म की शुरुआत ही जायरा वसीम की मौत के बाद से होती है. जायरा की मौत के बाद प्रियंका कहती हैं, 'मुझे आयशा के अलावा कुछ और करना आता ही नहीं'. इस डायलॉग में प्रियंका ये बयां करती हैं कि एक मैं अपने बीमार बच्चे की देखभाल में कैसे खुद को खो देती हैं.


ये कहानी दिल्ली के चांदनी चौक में रहने वाली अदिति चौधरी (प्रियंका चोपड़ा जोनास) और निरेन चौधरी (फरहान अख्तर) की फैमिली की है. इस कपल के तीन बच्चे हैं बड़ा बेटा ईशान चौधरी (रोहित सराफ) जो कि सेहत से बिल्कुल ठीक है. दूसरी बेटी तान्या जो कि पैदा होते ही किसी रेयर बीमारी के चलते मर छह महीने की उम्र में ही मर जाती हैं. इसके बाद हैं इनकी सबसे छोटी बेटी आयशा (जायरा वसीम) जो कि सिर्फ छह महीने की उम्र में Immune Deficiency Disorder के शिकार हो जाती हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि आयशा मुश्किल से एक साल और जी पाएंगी. लेकिन अगर उनका बोनमैरो ट्रांसप्लांट किया जाए तो बच सकती हैं.



ये एक बहुत महंगा ट्रीटमेंट है जिसके लिए चौधरी परिवार खासतौर पर अदिति और निरेन अपनी जी जान लगा देते हैं. अंत में ये ऑपरेशन होता है और आयशा ठीक हो जाती है लेकिन अभी भी उसकी कॉम्प्लीकेशन्स पूरी तरह ठीक नहीं होतीं. इसके बाद वो 13 साल की उम्र में वो Pulmonary Fibrosis (फेफड़ों की काट) का शिकार हो जाती हैं. इस बीमारी में इंसान के फेफड़े बहुत कमजोर हो जाते हैं और ठीक से काम करना बंद कर देते हैं. यदि फेफड़ों का ट्रांसप्लांट कराया जाए तो आयशा की जान बचाई जा सकती है. लेकिन आयशा इस सर्जरी से इंकार कर देती है.


फिल्म की कहानी का प्लॉट बेहद सिंपल है लेकिन पर्दे पर एक ऐसी लड़की और उसके परिवार की कहानी को देखना अलग अनुभव है. आयशा के परिवार को और खुद उन्हें ये हर पल पता है कि वो कभी भी मर सकती हैं. लेकिन इस सब के बावजूद परिवार और खुद आयशा जिंदगी को जीने की कोशिश करते हैं. लेकिन किसी भी पेरेंट्स के लिए अपने ही बच्चे को इस तरह मरते देखना बेहद दर्दनाक है.



निर्देशन


फिल्म का निर्देशन शोनाली बोस ने किया है. शोनाली ने इस फिल्म को बेहद खास ट्रीटमेंट दिया है. इसमें चौधरी परिवार और उनकी जिंदगी से जुड़े हर एक छोटे से छोटे इमोशन को कैमरे में कैद करने की कोशिश की गई है. शोनाली का इस फिल्म से खास जुड़ाव इसलिए भी है क्योंकि कुछ समय पहले उनके बेटे का भी निधन हो गया था. ये कहना गलत नहीं होगा कि शोनाली ने कहीं न कहीं अपने इस दर्द को पर्दे पर उतारा है. शोनाली के इस एफर्ट में फिल्म की स्टारकास्ट ने उनका खूब साथ दिया है.


एक्टिंग


जायरा वसीम इस फिल्म की जान हैं. जायरा की ये सिर्फ तीसरी फिल्म है लेकिन उनके एक्टिंग परफॉर्मेंस को देखकर इस बात का अंदाजा लगा पाना बहुत मुश्किल है. उन्होंने आयशा के किरदार पर्दे पर एक बार फिर जिवंत किया है. जायरा के बाद प्रियंका चोपड़ा इस फिल्म में सबसे स्ट्रॉन्ग फर्मेंस देती नजर आईं. बीते कुछ समय से हॉलीवुड का रुख कर चुकीं प्रियंका अब हिंदी सिनेमा में लौटीं हैं और उन्होंने पहले से भी बेहतर परफॉर्म किया है. इसके अलावा फरहान अख्तर और रोहित सराफ के साथ फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट ने भी अच्छी परफॉर्मेंस दी है.



म्यूजिक


फिल्म का म्यूजिक बहुत खास नहीं है. न ही इसके गाने आपके दिल तक पहुंचते हैं. इसका संगीत प्रितम ने दिया है. इसकी एल्बम में कुल 4 ट्रैक रखे गए हैं. जिनमें से एक भी ऐसा गाना नहीं है जिसे आप गुनगुनाते हुए सिनेमाघर से बाहर आएं या म्यूजिक लिस्ट में रख सकें.


क्यों देखें




  • फिल्म एक स्ट्रॉन्ग कहानी कहती है, जिसमें जिंदगी का लगभग हर रंग आपको दिखाता है. इसमें परिवार के खूबसूरत रिश्ते और जिंदगी की फिलॉस्फी को दिखाता है.

  • फिल्म में सभी कलाकारों ने शानदार काम किया है और आप प्रियंका चोपड़ा जोनास की इस परफॉर्मेंस को बिल्कुल भी मिस नहीं करना चाहेंगे.

  • ये एक फैमिली फिल्म है और आप पूरे परिवार के साथ इस फिल्म को इंजॉय कर सकते हैं.


क्यों न देखें

अगर आप इस वीकेंड को हाई इमोशनल फैमिली ड्रामा नहीं देखना चाहते हैं तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है. इसके लिए अलावा फिल्म को न देखने की कोई खास वजह नहीं है.