नई दिल्ली: अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी फिल्म 'थप्पड़' सिनेमाघरों में अच्छा प्रदर्शन कर रही है. फिल्म ने दूसरे दिन बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई की है. 'थप्पड़' की समीक्षकों ने खूब तारीफ की है. घरेलू हिंसा जैसे गंभीर मुद्दे पर बनी ये फिल्म दर्शकों को भी काफी पसंद आ रही है.


फिल्म ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने इसकी दूसरे दिन की कमाई के आंकड़े जारी किए हैं. उनके मुताबिक फिल्म ने शनिवार को 5.05 करोड़ रुपये की कमाई की है. इससे पहले फिल्म को सिर्फ 3.07 करोड़ रुपये की ओपनिंग मिली थी. इस लिहाज़ से देखें तो दूसरे दिन फिल्म की कमाई में काफी बढोतरी हुई है. दो दिनों में 'थप्पड़' ने 8.17 करोड़ रुपये का बिज़नेस कर लिया है.


 





'थप्पड़' का निर्देशन करने के साथ साथ अनुभव सिन्हा ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट भी लिखी है. फिल्म में तापसी पन्नू लीड रोल में हैं, जिन्होंने अमृता नाम की एक हाउसवाइफ का किरदार निभाया है. उनके पति के रोल में पवेल गुलाटी हैं. इसके अलावा फिल्म में कुमुद मिश्रा, रत्ना पाठक शाह, तन्वी आज़मी और दीया मिर्ज़ा जैसे कलाकार हैं, जो इसे कहीं भी कमज़ोर नहीं पड़ने देते.


'मुल्क' और 'आर्टिकल 15' के बाद अनुभव तीसरी ऐसी कमर्शियल फिल्म लेकर आए हैं, जोकि समाज में मौजूद ज़रूरी मुद्दे को उठाती है. इस फिल्म को लेकर काफी चर्चा हो रही है.


क्या है कहानी?
फिल्म की कहानी बेहद सिंपल है, लेकिन कई चीज़ों को लेकर दर्शकों के नज़रिए पर चोट करती है. तापसी, अमृता नाम की लड़की का किरदार निभा रही हैं, जोकि एक आम सी भारतीय बहू है. उसका परिवार खुशहाल है. पति वरुण (पवैल गुलाटी) उससे बहुत प्यार करता है. ससुराल में भी सब ठीक है. सब कुछ एक परफेक्ट शादीशुदा ज़िंदगी की तरह है. पर एक दिन भरी महफिल में बिना किसी गलती के अमृता का पति वरुण उसे भप्पड़ मार देता है और सब कुछ बदल जाता है.


एबीपी न्यूज़ के यासिर उस्मान ने 'थप्पड़' की समीक्षा में कहा है कि ये घरेलू हिंसा पर बनी सिर्फ एक कोर्ट रूम ड्रामा टाइप फिल्म नहीं है, बल्कि इसका दायरा बहुत बड़ा है. ये बहुत आसानी से कई मुद्दों पर अपनी बात रखती है. इस समीक्षा में कहा गया है कि फिल्म में बार बार हिंसा नहीं होती, बल्कि एक ही थप्पड़ मारा जाता है, लेकिन फिल्म में फोकस एक ही थप्पड़ पर है, कि नहीं मार सकता. समीक्षा करते हुए यासिर कहते हैं कि फिल्म में पति का किरदार पुराने विलेन रंजीत या शक्ति कपूर की तरह निगेटिव नहीं है. उसने थप्पड़ मारा इसलिए वो गलत ज़रूर है, लेकिन इसके अलावा वो हमारे, आपके जैसा आम आदमी है. सभी की इज़्जत करने वाला. यासिर का मानना है कि यही चीज़ थप्पड़ को खास बनाती है.


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