नई दिल्ली: फिल्म 'पद्मावत' से जौहर का दृश्य हटाने की मांग सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. ये मांग सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने की थी. उनका कहना था कि ये दृश्य सती प्रथा जैसी सामाजिक बुराई को बढ़ावा देने वाला है.


कोर्ट ने क्या कहा


चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, "फ़िल्म को मंज़ूरी देना केंद्रीय फ़िल्म सर्टिफिकेशन बोर्ड का काम है. उसने अपना काम किया. फ़िल्म रिलीज़ हो चुकी है. हम इस मसले पर सुनवाई की ज़रूरत नहीं समझते."


'देवदास' देख कितने शराबी बने


अग्निवेश के वकील महमूद प्राचा अपनी मांग पर अड़े रहे. उन्होंने कहा कि फ़िल्म अब टीवी के ज़रिए घरों तक पहुंचेगी. सती जैसी प्रथा का महिमामंडन ठीक नहीं. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, "आप समझते हैं कि फ़िल्म देख कर कोई महिला सती हो जाएगी? देश की महिलाएं अब काफी सशक्त हो चुकी हैं."


चीफ जस्टिस ने मुस्कुराते हुए कहा, "1917 में लिखी गई 'देवदास' पर 30 के दशक में पहली बांग्ला फ़िल्म बनी. अब तक हिंदी समेत दूसरी भाषाओं में 9 बार देवदास पर फ़िल्म बन चुकी है. क्या आप कहेंगे कि उन्हें देख कर प्रेम में असफल लोग शराबी बन गए?


निर्माताओं पर कार्रवाई की मांग ठुकराई


अग्निवेश की तरफ से कहा गया कि फ़िल्म सती उन्मूलन एक्ट, 1987 का उल्लंघन करती है. एक्ट के तहत सती प्रथा का प्रचार अपराध है. निर्माताओं के खिलाफ आपराधिक मामला बनता है. कोर्ट ने कहा तो क्या इस कार्रवाई की उम्मीद आप सुप्रीम कोर्ट से कर रहे हैं? आपको अगर लगता है कि कोई अपराध हुआ है तो FIR दर्ज करानी चाहिए थी.