नई दिल्ली: हिंदी फिल्म जगत के खूबसूरत अभिनेताओं में से एक शशि कपूर इस दुनिया को छोड़कर चले गए हैं. उन्होंने सोमवार शाम अपनी आखिरी सांसे मुंबई के कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्पताल में ली. बॉलीवुड का ये सितारा अपने जीवन में करीब 160 फिल्मों में नजर आया, जिसमें 12 अंग्रेजी और 148 हिंदी फिल्में रहीं.



मां ने रखा था नाम शशि’


शशि कपूर का जन्म 18 मार्च 1938 को कोलाकाता में हुआ था. वो पृथ्वी राज कपूर के सबसे छोटे बेटे और राज कपूर के छोटे भाई थे. इस बात को बहुत कम लोग जानते हैं कि शशि कपूर का असली नाम बलबीर राज कपूर था, जो कि उनकी दादी मां ने रखा था, लेकिन उनकी मां को वो नाम पसंद नही था लिहाजा उन्होंने उनका नाम शशि रख दिया था. खास बात ये है कि शशि बचपन से ही एक्टिंग में माहिर थे. जब वो छोटे थे तब उन्होंने फिल्म ‘आवारा’ में राज कपूर के बचपन का किरदार निभाया. बाद में उन्होंने यश चोपड़ा की फिल्म ‘धर्मपुत्र’ से बतौर अभिनेता फिल्मों में डेब्यू किया.



जेनिफर को पहली नजर में दिल दे बैठे थे शशि कपूर


शशि कपूर ने जुलाई 1958 में ब्रिटिश एक्ट्रेस जेनिफर केंडल से मुंबई में (तब के बंबई) शादी की थी. जेनिफर और शशि कपूर की लव स्टोरी भी काफी खास है. शशि ने जेनिफर को पहली दफा देखकर ही दिल दे दिया था. साल 1956 में जब शशि सिर्फ 18 साल के थे तब वो एक्टर और असिस्टेंट स्टेज मैनेजर के तौर पर पृथ्वी थिएटर से जुड़े हुए थे.जेनिफर के पिता ‘शेक्शपियाराना’ नाम का ट्रैवेलिंग थिएटर ग्रुप चलाया करते थे. उस वक्त वो भी कोलकाता (तब के कलकत्ता) में अपना कार्यक्रम पेश करने आए थे.


अचानक शशि कपूर की नजर जेनिफर पर पड़ी और वो उनकी मुहब्बत में गिरफ्तार हो गए. कुछ दिन की मुलाकात के बाद शशि ने शादी की इच्छा जाहिर की लेकिन जेनिफर के पिता ने दो साल का इंतेजार करने को कह दिया. जिसके बाद शशि कपूर भी उनके थिएटर ग्रुप के साथ टूर करने लगे. दो साल बाद एक बार फिर जब शशि ने शादी की बात की, तो जेनिफर के पिता ने इंकार कर दिया. लेकिन जेनिफर ने इस बार अपने पिता के खिलाफ जाकर शशि कपूर से शादी के लिए हां कर दी.



फिल्मफेयर से लेकर दादा साहेब सम्मान तक, सब मिला शशि कपूर को


शशि कपूर ने दीवार, सत्यम शिवम सुंदरम, नमक हलाल जैसी कई सुपरहिट फिल्में की. साल 1975 में  आई फिल्म ‘दीवार’ के लिए उन्हें बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड भी मिला था. साल 2011 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया और 2015 में हिंदी सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड दिया गया. अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म ‘दीवार’ में बोला गया उनका डायलॉग ‘मेरे पास मां है’ 42 सालों के बाद भी सुरपहिट है.