Indresh Malik on Heeramandi Scene: 1 मई को नेटफ्लिक्स पर 'हीरामंडी' स्ट्रीम करने लगी है. संजय लीला भंसाली के निर्देशन और निर्माण में बनी 'हीरामंडी' काफी पसंद की जा रही है. 8 एपिसोड की इस सीरीज से ही भंसाली ने ओटीटी की दुनिया में कदम रखा है. इस फिल्म के चर्चे लंबे समय से थे क्योंकि भंसाली ने इसमें कई सितारों को एक साथ लिया और फिल्म की कहानी भी सबसे अलग रखी. अच्छी बात ये है कि लोगों को ये सीरीज पसंद आ रही है.


'हीरामंडी' में एक लंबी स्टारकास्ट के साथ संजय लीला भंसाली ने ये सीरीज बनाई. भंसाली के मुताबिक, एक साथ कई कलाकारों के साथ काम करने पर कठिनाइयां आती हैं लेकिन सब अच्छे से हो जाता है वो फिल्म चल जाती है तो सारी परेशानी इंसान भूल जाता है. उन किरदारों में एक अनोखा किरदार भी नजर आया जो इंद्रेश मलिक का था.


'हीरामंडी' में कौन है सबसे अनोखा किरदार?


'हीरामंडी' वेब सीरीज तवायफों को लेकर बनाई गई है. इसमें मनीषा कोईराला, सोनाक्षी सिन्हा, रिचा चड्ढा समेत कई एक्ट्रेसेस नजर आई हैं. वहीं नवाबों में फरदीन खान, शेखर सुमन और अध्ययन सुमन ने काम किया है. इन सभी स्टार कास्ट में इंद्रेश मलिक का भी खास रोल है. इंद्रेश मलिक ने सीरीज में उस्ताद का किरदार निभाया है जो मल्लिकाजान की तवायफों के साथ रहता है जो बायोसेक्शुअल होता है. इंद्रेश ने अपने एक इंटरव्यू में इस किरदार को लेकर बात की है.






'हीरामंडी' से पहले इंद्रेश मलिक संजय लीला भंसाली की फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी में नजर आए थे. 'हीरामंडी' में अपने किरदार और संजय लीला भंसाली को लेकर इंद्रेश ने अपने एक इंटरव्यू में बातचीत की. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक यूट्यूब चैनल के पॉडकास्ट में इंद्रेश ने कहा, 'मुझे श्रुति महाजन का फोन आया और उन्होंने मुझे बताया कि मेरा किरदार इसमें कैसा होगा. मैंने अपने किरदार को लेकर कुछ सलाह दी जिन्हें माना गया. मैं बहुत खुश हूं कि मैं संजय सर के साथ दो फिल्में कर पाया और उनसे बहुत कुछ सीख पाया.'


इंद्रेश मलिक ने आगे कहा, 'पूरी सीरीज में मुझे एक सीन याद आ रहा है जिसमें सोनाक्षी जी मुझे नथ पहनाती हैं और मुझे एक डायलॉग बोलना होता है. सर ने मुझे बोला कि उस सीन में मुझे रोना है. वो सीन करके जब मैं एक्सिट की तरफ गया तो मेरा रोना रुका ही नहीं. 5 मिनट तक मैं रोता रहा तब सर मेरे पास आए मुझे गले लगाया और 500 रुपये दिए. उन्होंने कहा तुमने बहुत अच्छा शॉट दिया है ये लो तुम्हारा ईनाम. मैं उतने में ही खुश हो गया क्योंकि उन्होंने मुझे वो दिया जो एक गुरू अपने शिष्य को देते हैं.'


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