Lalita Pawar Tragic Life Story: कुछ कलाकार अपने किरदारों में इस कदर जान फूंक देते हैं कि वे हमारे जेहन में हमेशा के लिए बस जाते हैं.  इतना कि दर्शक उस किरदार को निभाने वाले व्यक्ति को भी आंकना शुरू कर देते हैं. ऐसा ही एक किरदार ललिता पवार ने निभाया था, जो हमारी यादों में हमेशा के लिए बस गया है. जी हां, हम बात कर रहे हैं भारतीय पौराणिक नाटक, रामायण के दुष्ट चरित्र, मंथरा के बारे में, जिसने अयोध्या में स्थिति बदल दी थी और भगवान राम को 14 साल के वनवास के लिए भेजा था. यह मंथरा के रूप में ललिता पवार का सशक्त अभिनय ही था जिसने लोगों को उनसे इतनी नफरत करने पर मजबूर कर दिया कि उन्हें हमारी यादों से मिटाना मुश्किल है.


ललिता पवार ने न केवल रामानंद सागर की रामायण में मंथरा के किरदार से लोकप्रियता हासिल की थी, बल्कि उन्होंने 700 से ज्यादा हिंदी, मराठी और गुजराती फिल्मों में दुष्ट सास का रोल निभाकर भी खूब पॉपुलैरिटी हासि की थी. उन्होंने ‘श्री 420’, ‘दहेज’, ‘नेताजी पालकर’ और ‘अनाड़ी’ जैसे कई सफल धारावाहिकों और फिल्मों में भी काम किया था. इस दिवंगत अदाकारा की प्रोफेशनल लाइफ के बारे में तो हर कोई जानता है लेकिन उनकी पर्सनल लाइफ कितनी दर्द भरी थी ये बहुत कम लोग ही जानते हैं.


9 साल की उम्र में की थी पहली फिल्म
ललिता पवार का जन्म 18 अप्रैल, 1916 को एक संपन्न रेशम व्यवसायी परिवार में हुआ था. जन्म के समय उनका नाम अंबा लक्ष्मण राव था, जिसे बाद में बदलकर ललिता कर दिया गया. ललिता को एक्टिंग का शौक था और उन्होंने महज 9 साल की उम्र में अभिनय शुरू कर दिया था और उनकी पहली फिल्म निर्देशक वाई.डी.  सरपोतदार की ‘राजा हरिश्चंद्र थी. इतनी कम उम्र में शुरुआत करने के बाद उन्होंने 1988 तक एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में काम किया.




एक घटना ने बदल दी की ललीता पवार की जिंदगी
ललिता पवार का करियर काफी अच्छा चल रहा था और वह पॉपुलैरिटी हासिल कर रही थीं लेकिन  सेट पर हुए एक हादसे ने उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल दी थी. ये साल 1942 की बात है, जब उनकी फिल्म ‘जंग-ए-आज़ादी’ की शूटिंग के दौरान, एक सीन के लिए, उनके को-एक्टर  भगवान दादा को उन्हें थप्पड़ मारना पड़ा और उन्होंने ललिता को इतनी जोर से थप्पड़ मार दिया था कि उनके कान से खून बहने लगा था और उनकी आंख के पास की नस फट गई थी. उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन गलत इलाज के कारण उनका मामला बिगड़ गया और उनके शरीर का दाहिना हिस्सा कुछ सालो के लिए लकवाग्रस्त हो गया. वह लगभग 3 वर्षों तक इलाज कराती रही थी. इस वजह से उनके करियर पर काफी असर पड़ा था.


Cineplot.com से बातचीत में दिवंगत एक्ट्रेस ने कहा था, “जंग-ए-आजादी की शूटिंग के दौरान एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण एक लीड एक्ट्रेस के रूप में मेरा करियर अचानक खत्म हो गया था. सीन के मुताबित  मास्टर भगवान को मेरे चेहरे पर एक थप्पड़ मारना था और जब उन्होंने ऐसा किया, तो यह इतना जोरदार था कि मेरे चेहरे पर लकवा हो गया था. मेरी बाईं आंख हमेशा के लिए डैमेज हो गई थी.”




दुर्घटना के बाद ललिता को क्रूर सास के रोल में मिली पॉपुलैरिटी
शुरुआत में,  ललिता को लीड हिरोइन के रोल ऑफर किए गए थे लेकिन, दुर्घटना और ट्रीटमेंट के बाद उन्हें कैरेक्टर रोल्स ऑफर होने लगे थे. वहीं ललिता ने भई हार मानने की बजाय उन्हें मिले हर मौके का फायदा उठाया और जोरदार वापसी करते हुए कई फिल्मों में सहायक किरदार के रूप में काम किया. इस फेज के दौरान, उन्हें एक क्रूर सास के कईं रोल मिले, जिससे उनकी एक खलनायक छवि बन गई. फिर उन्हें निगेटिव रोल मिलने लगीं, जिसके कारण उन्हें रामानंद सागर की रामायण में मंथरा की भूमिका मिली, जो आज भी एक बेंचमार्क कैरेक्टर है.


बहन ही बन गई थी ललिता पवार की सौतन
विपरीत परिस्थितियों के बावजूद, ललिता ने अपने करियर पर पकड़ बनाए रखी थी, हालांकि, उनकी पर्सनल लाइफ उनके हाथों से फिसलने लगी था. करियर में सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के बावजूद, उन्हें निजी जीवन में किसी और से नहीं बल्कि अपनी छोटी बहन से धोखा मिला था. यह 1930 के दशक के मध्य की बात है जब ललिता पवार ने फिल्म निर्माता गणपतराव पवार से शादी कर ली थी. उनके बीच सब कुछ ठीक चल रहा था और उन्होंने उनकी फिल्मों में काम भी किया था, हालांकि, बाद में ललिता को अपने पति के एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर के बारे में पता चला था. ललिता के पति का उनकी छोटी बहन के साथ अफेयर चल रहा था जिसके चलते उन्हें अपनी शादीशुदा जिंदगी खत्म करनी पड़ी. ललिता ने बाद में एक अन्य फिल्म निर्माता, राज कुमार गुप्ता से शादी कर ली और उनका एक बच्चा भी है, जिसका नाम जय पवार है, जो एक फिल्म निर्माता है.


1998 में एक पत्रकार को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपनी दूसरी शादी के बारे में बात करते हुए कहा था, 'हम छुट्टियां मनाने दिल्ली-आगरा गए थे। मेरे पति हमेशा से एक रोमांटिक इंसान रहे हैं। यहां तक ​​कि समय बीतने और हमारे साथ रहने से भी उनमें कोई बदलाव नहीं आया था.''




अकेले तड़प-तड़प कर हुई थी ललिता पवार की मौत
ललिता की मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुई थी. दूसरी शादी के बाद, ललिता को पता चला कि उन्हें मुंह का कैंसर हो गया है और वह पुणे चली गईं. दिग्गज अभिनेत्री ने तब यह मानना ​​​​शुरू कर दिया था कि उन्हें उनके द्वारा निभाए गए निगेटिव किरदारों की वजह से बद्दुआ मिली थी और उन्हें कैंसर हो गया था. 24 फरवरी 1998 को ललिता ने पुणे स्थित अपने बंगले में अंतिम सांस ली थी. उस वक्त वह बिल्कुल अकेली थीं क्योंकि उनका परिवार उनके साथ नहीं था. जब उनके बेटे ने उन्हें फोन किया और किसी ने फोन नहीं उठाया, तो परिवार उनके पुणे स्थित आवास पर पहुंचा, जहां उन्हें पता चला कि ललिता ने तीन दिन पहले ही अंतिम सांस ली थी!


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