नई दिल्लीः पूर्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना ने गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि उन्होंने वायुसेना में लैंगिक आधार पर किसी भेदभाव का सामना नहीं किया, जो कि एक बहुत प्रगतिशील संस्थान है. उन्होंने इस बात का जिक्र किया कि वायुसेना ने करगिल युद्ध सहित राष्ट्र की सेवा करने का उन्हें एक अवसर दिया और वायूसेना की ओर से उन्हें दिये गये अवसरों के लिये वह हमेशा आभारी रहेंगी.


सक्सेना ने केंद्र की ओर से दायर एक वाद में अपने हलफनामे में यह दलील दी. वाद के जरिये ‘गुंजन सक्सेना- द करगिल गर्ल’ फिल्म को नेटफ्लिक्स, धर्मा प्रोडक्शंस और अन्य को इसके प्रसारण या थियेटरों में रिलीज करने या अन्य डिजिटल मंच पर प्रसारण करने से स्थायी रूप से रोके जाने का आदेश जारी करने की मांग की गई है. साथ ही बगैर अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) दिये ऐसा करने का अनुरोध किया गया है.


केंद्र के मुताबिक नेटफ्लिक्स पर प्रदर्शित की जा रही इस फिल्म में वायुसेना को गलत तरीके से दिखाया गया है और इसकी यह छवि पेश करने की कोशिश की गई है कि वायूसेना में लैंगिक आधार पर भेदभाव करता है.


सक्सेना ने न्यायमूर्ति राजीव शकधर के सामने दायर हलफनामे में साफ किया कि यह फिल्म कोई डॉक्यूमेंट्री नहीं है, बल्कि उनके जीवन से प्रेरित है और यह फिल्म की शुरूआत में दिखाये गये दो ‘डिसक्लेमर’ से यह स्पष्ट है, जो वायुसेना में शामिल होने के लिये युवतियों को प्रेरित करने का संदेश देता है.


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