Singer Mukesh: उनकी आवाज में ऐसा जादू था, जिसने हर किसी को अपनी ओर खींच लिया. वह भले ही अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज का जादू लगातार बरकरार है. आलम तो यहां तक रहा कि एक दिग्गज कलाकार ने तो उन्हें अपनी आत्मा तक का दर्जा दे दिया था. बात हो रही है अपने जमाने के मशहूर सिंगर मुकेश की, जिनकी ख्वाहिश तो एक्टर बनने की थी, लेकिन उन्होंने 'पहली नजर' से ही अपने दिल के हर अरमान जला दिए थे. आइए आपको मुकेश की जिंदगी के उन किस्सों से रूबरू कराते हैं, जिनके बारे में काफी कम लोग जानते हैं. 


मुकेश यूं पहुंचे थे मुंबई


मुकेश के मुंबई पहुंचने का किस्सा भी बेहद फिल्मी है. हुआ यूं था कि जब मुकेश की बहन की शादी हो रही थी तो बरातियों में उस जमाने के मशहूर एक्टर-प्रॉड्यूसर मोतीलाल भी आए थे. शादी में मुकेश ने बरातियों को सहगल साहब के गीत सुनाए तो मोतीलाल ने उन्हें मुंबई चलने का ऑफर दिया. उनकी काफी मशक्कत के बाद मुकेश मुंबई पहुंच गए थे. हालांकि, मोतीलाल मुकेश को मुंबई तो ले गए थे, लेकिन तरक्की की राह उन्हें खुद ही ढूंढने के लिए कहा था. उस दौरान मोतीलाल ने मुकेश से कहा था कि यहां तुम्हें हर सुख-सुविधा मिलेगी. खाना मिलेगा. पहनने को कपड़े मिलेंगे, लेकिन पैसा एक नहीं मिलेगा. इंडस्ट्री में अगर काम चाहिए तो खुद के दम पर लेना. तुम्हें अपनी पहचान खुद ही बनानी पड़ेगी. मैं कोई मदद नहीं करूंगा और न ही कोई कॉन्टैक्ट दूंगा. 


यूं टूट गया एक्टिंग करने का सपना


मुकेश सिर्फ एक नाम ही नहीं, बल्कि ऐसी आवाज बने, जिसने हर दिल को छू लिया. सिर्फ छुआ ही नहीं, बल्कि ऐसा जादू कर दिया कि लोग उनकी तरफ खिंचे चले जाते थे. उनके गाने आज भी फिजां में गूंजते हैं. लोग उन्हें गुनगुनाते हैं और सदाबहार सिंगर को दिल से याद करते हैं. 22 जुलाई 1923 के दिन दिल्ली में जन्मे मुकेश का पूरा नाम मुकेश चांद माथुर था. उनकी दिली ख्वाहिश हीरो बनने की थी, लेकिन कामयाबी हाथ नहीं लगी. दरअसल, मुकेश ने 1941 में फिल्म निर्दोष, 1943 में आदाब अर्ज, 1953 में आह और माशूका, 1956 में फिल्म अनुराग में हीरो की भूमिका निभाई थी, लेकिन सभी फिल्में फ्लॉप रहीं. इसके बाद मुकेश ने कभी एक्टिंग की ओर रुख नहीं किया.


पहले ही गाने से दिल में लगाई आग


बता दें कि जिस फिल्म ने बतौर हीरो पहली बार मुकेश का सपना तोड़ा, उसी फिल्म ने उन्हें संगीत की दुनिया में मशहूर कर दिया. दरअसल, फिल्म निर्दोष में उन्होंने दिल ही बुझा हुआ हो तो गाना गाया था, जिसने धूम मचा दी थी. इसके बाद उन्होंने फिल्म 'पहली नजर' में 'दिल जलता है तो जलने दे' गाकर तो तमाम दिलों में आग लगा दी थी. दरअसल, इस गाने को उन्होंने केएल सहगल के अंदाज में गाया था. साल 1949 के दौरान मुकेश ने महबूब खान की फिल्म 'अंदाज' और राज कपूर की 'बरसात' में कई गाने गाए, जो सुपरहिट रहे. मुकेश के छह गाने तो ऐसे भी रहे, जो रेडियो शो पर पूरे साल टॉप पर रैंक करते रहे.


रामायण पाठ से भी जीता दिल


आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सिंगर मुकेश ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे. वह रोजाना सुबह उठकर सैर पर जाते और लौटने के बाद रियाज करते थे. इसके बाद वह घर में बने छोटे से मंदिर के सामने बैठकर रामायण पढ़ते रहते थे. रामायण पढ़ते वक्त मुकेश बेहद इमोशनल हो जाते थे. उस वक्त घरवाले कहते थे कि उनके सामने से रामायण हटा लो, वरना वह रोते ही रहेंगे. मुकेश ने अपनी आवाज में रामचरित मानस का पाठ भी किया है, जो दिल को छू जाती है. 


यूं दिल तोड़कर चले गए थे मुकेश


एक दौर ऐसा भी रहा, जब मुकेश को शोमैन 'राज कपूर की आवाज' कहा जाने लगा. उन्होंने राज कपूर के लिए करीब 110 गाने गाए थे. उन्होंने अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, संजीव कुमार, मनोज कुमार और शशि कपूर के लिए भी सुपरहिट गाने गाए. हुआ यूं था कि जब मुकेश अपने सिंगिंग करियर में पीक पर थे, उस दौरान वह अमेरिका के टूर पर गए थे. वहां 27 अगस्त 1976 के दिन मुकेश को अचानक दिल का दौरा पड़ा. उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चंद मिनटों में सबकुछ खत्म हो गया. अपनी आवाज से दिलों में आग लगाने में माहिर मुकेश अचानक ही लोगों का दिल तोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गए. जब मुकेश का निधन हुआ तो राज कपूर फूट-फूटकर रोने लगे थे. उन्होंने कहा था कि मेरी आत्मा चली गई. अब तो सिर्फ मेरा शरीर रह गया है.


जब कैमरे के सामने आ गया था रेखा का 'असली चेहरा', लोगों का रिएक्शन देख आप हैरान रह जाएंगे....