भारत को गीतों का देश कहा जाता है. हमारे हिंदी सिनेमा में भी गीतों को बहुत महत्व दिया गया है. गानों के बिना हिंदी सिनेमा की कल्पना करना भी मुश्किल है. लेकिन क्या आपको पता है कि हिंदी फिल्मों में धुन पर गीत लिखने का श्रेय किसे जाता है. आज हम बताएंगे ऐसे ही एक महान गीतकार और शायर के बारें में.


साहिर लुधियानवी देश के पहले ऐसे फिल्मी गीतकार हैं, जिन्होने संगीतकार की धुनों पर गीतों की रचना की. फिल्मी दुनिया में यह चलन साहिर ने ही शुरू किया. इससे पहले गीतकार गाना लिखता था और बाद में संगीतकार उस पर धुन की रचना करते थे.


पचास के दशक से पहले इंडस्ट्री में इसी रिवाज का चलन था. लेकिन जब 1951 में एसडी बर्मन ने उनसे संपर्क किया और कहा- ''जनाब एक धुन है जिस पर एक गीत लिखना है''. पहले तो साहिर लुधियानवी थोड़ा हैरत में पड़ गए, लेकिन बाद में उन्होंने इस चुनौती को स्वीकार कर लिया और फिल्म 'नौजवान' के लिए ऐसा गीत लिखा, जो अमर गीत बन गया. ये गीत था ''ठंडी हवाएँ लहरा के आए''.


इसके बाद साहिर की मांग बढ़ गई. लेकिन उनके बारे में एक रोचक बात यह भी है कि उन्हें फिल्मों में गीत लिखना कतई पसंद नहीं था. ये बात वे अक्सर मुशायरों और बैठकों में खुलकर कहा भी करते थे. साहिर के जीवन में इतने दर्द थे बावजूद वे जिदंगी को पूरी जिंदादिली से जीए. वे हर नए शायर, गीतकार और कलाकार को प्रोत्साहित किए करते थे. वे जितने अच्छे गीतकार थे उतने अच्छे इंसान भी थे. महिलाओं का दर्द उनकी शायरी में बखूबी दिखाई देता है. इससे पता चलता है कि वे बेहद संजीदा इंसान थे. खास बात ये है कि फिल्मों में गाने लिखना पसंद न आने के बाद भी बॉलीवुड के सबसे अच्छे गीतों में से कुछ गीत साहिर के भी गिने जाते हैं. साहिर ने हिंदी सिनेमा संगीत को ऐसे नायाब गीत दिए जो आज भी गुनगुनाए जाते हैं.


साहिर के गीतों में एक दर्द था. उनके गीतों में बेहतरीन शायरी झलकती है. इसके अलावा साहिर ही पहले ऐसे गीतकार थे, जिन्होने फिल्मों में गीत लिखने वाले गीतकारों को उनका हक दिलाने का काम किया. उनके साथ हो रहे शोषण के खिलाफ उन्होंने जमकर आवाज उठाई और गीतकारों को उनका हक दिलाने में कामयाब हुए.


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