Manoj Bajpayee Birthday: फिल्मी दुनिया की चकाचौंध हर किसी को आकर्षित करती है. बहुत से लोग यहां ये सोचकर आते हैं कि आते ही उन्हें काम मिलेगा और वो फमस हो जाएंगे. इंडस्ट्री में अगर आपका कोई गॉडफादर है तो पहला काम आसानी से मिलता है लेकिन अगर आप आउटसाइडर हैं तो आपको काम ढूंढने में मशक्कत करनी पड़ती है. ऐसा ही कुछ मनोज बाजपेयी ने भी किया है. आज जो उनकी पहचान है उसके लिए उन्होंने काफी मेहनत की है.


बॉलीवुड के पॉपुलर एक्टर मनोज बाजपेयी आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. काफी मेहनत के बाद उन्होंने आज फिल्मों और ओटीटी पर पहचान बनाई है. मनोज बाजपेयी आज अपना 55वां बर्थडे मना रहे हैं और इस मौके पर चलिए आपको उनके संघर्ष से सफलता की कहानी बताते हैं.


मनोज बाजपेयी का फैमिली बैकग्राउंड


23 अप्रैल 1969 में बिहार के बेतइहा जिले के एक छोटे गांव में मनोज बाजपेयी का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ. मनोज 5 भाई-बहन और वो अपने माता-पिता की दूसरी संतान हैं. उनकी एक छोटी बहन पूनम दुबे फिल्म इंडस्ट्री में फैशन डिजाइनर है. मनोज बाजयेपी के पिता किसान थे, मनोज बाजपेयी स्कूल जाते थे लेकिन छुट्टियों में पिता का साथ खेतों में खेती करते हुए देते थे.






हालांकि, बचपन से मनोज बाजपेयी फिल्मों में काम करना चाहते थे. मनोज बाजपेयी ने अपनी पढ़ाई मुश्किलों से पूरी की क्योंकि उनके घर की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी. 12वीं के बाद मनोज दिल्ली आ गए और यहां दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के बारे में सुना तो उन्होंने अप्लाई किया.


मनोज बाजपेयी का संघर्ष और पहली फिल्म


नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में अप्लाई करने के बाद उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया. मनोज ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वो गांव में परिवार के खिलाफ जाकर एक्टिंग में कदम रखने आए थे. जब NSD से रिजेक्शन मिला तो उनके मन में सुसाइड तक का ख्याल आ गया था. इसके बाद उन्होंने एक्टिंग कोच बैरी जॉन के वर्कशॉप में पार्टिसिपेट किया.


चौथी बार जब उन्होंने एनएसडी में अप्लाई किया तब वो सिलेक्ट हुए. इसके बाद वो मुंबई गए और सर्वाइव के लिए नौकरी भी की. मनोज बाजपेयी ने कपिल शर्मा के शो में बताया था कि मुंबई में वो एक कमरे में कई लड़कों के साथ रहते थे और कभी-कभी खाने को भी कुछ नहीं होता था.


मनोज बाजपेयी ने अपने संघर्ष के बारे में हमेशा खुलकर बातें की हैं. साल 1994 में मनोज बाजपेयी को पहली फिल्म द्रोहकाल मिली जिसमें उनका एक मिनट का रोल था. इसके बाद साल 1994 में मनोज बाजपेयी को दूसरी फिल्म बैंडिट क्वीन मिली जिसे शेखर कपूर ने डायरेक्ट किया था. 






मनोज बाजपेयी की फिल्में


मनोज बाजपेयी ने दो फिल्में तो कर ली थीं लेकिन उन्हें कामयाबी अभी भी नहीं मिली. तो उन्होंने दूरदर्शन के सीरियल इम्तिहान में काम किया. साल 1998 में आई फिल्म सत्या में उन्होंने विलेन का रोल प्ले किया और यहां से मनोज बाजपेयी की किस्मत चमकी. इसके बाद उन्होंने 'गैंग्स ऑफ वासेपुर', 'शूल', 'जोराम', 'सिर्फ एक बंदा काफी है', 'द फैमिली मैन', 'अलिगढ़', 'स्पेशल 26', 'फर्जी', 'बागी 2' जैसी फिल्मों और वेब सीरीज में काम किया है. इन दिनों मनोज बाजपेयी ने ओटीटी पर छाए हुए हैं.


मनोज बाजपेयी की शादी


मनोज बाजपेयी ने पहली शादी दिल्ली की एक लड़की से की थी लेकिन जल्द ही उनका तलाक हो गया था. 2000's के समय उनकी मुलाकात शबाना रजा मिली जिनसे उनका अफेयर शुरू हुआ और साल 2006 में दोनों ने शादी कर ली. शबाना रजा बॉलीवुड एक्ट्रेस रही हैं जिन्हें आमतौर पर लोग नेहा नाम से जानते हैं. नेहा और मनोज को एक बेटी अवा नायला हैं.


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