Lata Mangeshkar Rejected Because of her Thin Voice: 92 साल की उम्र में हिंदी सिनेमा की मशहूर सिंगर लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) दुनिया को अलविदा कह गईं. भारत रत्न और स्वर कोकिला नाम से मशहूर लता मंगेशकर की आवाज के करोड़ों दीवाने हैं. उन्होंने हिंदी सिनेमा में 30,000 गानों में अपनी आवाज दी है. इतनी सुरीली आवाज होने के बावजूद क्या आप जानते हैं कि लता मंगेशकर ने अपने करियर में  रिजेक्शन (Lata Mangeshkar Rejected) भी झेला है. उन्हें एक दफा उनकी पतली आवाज के चलते रिजेक्ट कर दिया गया था. क्या था वो पूरा किस्सा पढ़िए इस रिपोर्ट में.


अपने करियर के शुरुआती दौर में लता जी को उनकी पतली आवाज के चलते रिजेक्ट कर दिया जाता था. कुछ लोगों का मानना था कि उनकी आवाज काफी पतली और कमजोर है. लेकिन उन्हें क्या पता था ये आवाज आगे चलकर हिंदी सिनेमा का इतिहास बदल कर रख देगी. बता दें लता जी की आवाज को पतला कहकर रिजेक्ट करने वाले वह पहले इंसान कोई और नहीं बल्कि मशहूर फिल्म मेकर एस मुखर्जी 9S. Mukherjee) थे.



दिलीप कुमार (Dilip Kumar) स्टारर फिल्म 'शहीद' में एस मुखर्जी ने लता जी की आवाज सुनी. गाने को बड़ी ध्यान से सुनने के बाद उन्होंने लता जी को अपनी फिल्म में काम देने से इनकार कर दिया, इसके पीछे का रीजन था लता जी की पतली आवाज.


जब लता मंगेशकर को एस मुखर्जी ने रिजेक्ट कर दिया, तब गुरु गुलाम हैदर साहब लता जी को काम दिलवाने की कोशिश कर रहे थे. उस दौरान उन्होंने उनकी आवाज दिलीप कुमार को सुनाई. जैसे ही लता मंगेशकर दिलीप कुमार के सामने गाने लगीं, उन्हें गाने के बीच में टोकते हुए दिलीप साहब ने कहा- मराठियों की आवाज से दाल भात की गंध आती है. उनका मतलब इस दौरान शब्दों के उच्चारण से था. दिलीप कुमार की बात को ध्यान में रख लता जी ने हिंदी और उर्दू सीखने के लिए क्लासेज लीं. लोगों की बताई गलतियों को ध्यान में रख उसे सुधारा और अपनी अलग पहचान बनाई.


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