फिल्म: जजमेंटल है क्या


डायरेक्टर: प्रकाश कोवेलामुदी


स्टारकास्ट: कंगना रनौत, राजकुमार राव, अमृता पुरी, अमायरा दस्तूर, जिम्मी शेरगिल, सतीश कौशिक


रेटिंग: ***


Judgementall Hai Kya Movie Review: कंगना रनौत और राजकुमार राव की फिल्म 'जजमेंटल है क्या' एक साइकोलोजिकल ब्लैक कॉमेडी है जिसमें आपको सब कुछ फ्रेश देखने को मिलेगा. कहानी बहुत नई है और उसे बेहतरीन ढंग से पर्दे पर उकेरा गया है. ऐसे किरदारों को आपने बॉलीवुड में शायद ही देखा होगा. कंगना की दमदार एक्टिंग जहां फिल्म को बांधकर रखती है वहीं राजकुमार राव ने अपने नए अंदाज से चौंका दिया हैं.


कहानी
बॉबी (कंगना रनौत) के साथ बचपन में कुछ ऐसा हादसा होता है कि वो एक्यूट सायकोसिस की शिकार हो जाती है. कभी-कभी उसे झूठ भी सच लगने लगता है. वो डबिंग आर्टिस्ट का काम करती है. हिरोइनों की तरह उसकी लाइफ स्टाइल है और वैसी ही तस्वीरें खिंचवाना उसे पसंद है. इसी बीच उसकी एक रिश्तेदार रीमा (अमायरा दस्तूर) अपने पति केशव (राजकुमार राव) के साथ उसके यहां किराये पर रहने आती है. कुछ समय बाद रीमा की मौत हो जाती है जिसका जिम्मेदार केशव और बॉबी एक दूसरे को ठहराते हैं. एक दूसरे के खिलाफ दोनों के तर्क इतने सही होते हैं कि हर सीन के बाद सस्पेंस क्रिएट होता है.


कहानी में ट्विस्ट इसके बाद आता है जब कुछ साल बाद केशव से बॉबी की फिर मुलाकात होती है. इसके बाद की स्थिति को फ्यूचरिस्टिक रामायण 2.0 की तरह दिखाया गया है. जहां सीता की तरह बॉबी को अग्निपरीक्षा देनी पड़ती है. फिल्म में आखिर रावण कौन है? ये सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.


एक्टिंग
बॉबी के किरदार में कंगना रनौत काफी फिट बैठती हैं. कंगना पर ऐसे रोल जमते भी हैं. कभी-कभी इसे देखते हुए उनकी पिछली फिल्मों की याद भी आ जाती है. उनकी एक्टिंग ऐसी है कि पर्दे पर कोई और नज़र ही नहीं आता. डायलॉग डिलिवरी हो या फिर एक्सप्रेशन, कंगना हर मामले में बॉलीवुड की 'क्वीन' हैं. बॉबी के किरदार में जो पागलपन है, जुनून है, सनकपन है, उसे कंगना से बेहतर कोई नहीं कर सकता था.



राजकुमार राव का इस फिल्म में बहुत ही नया अवतार देखने को मिलता है. पिछले साल उन्होंने 'स्त्री' में दर्शकों को डराने के बहाने हंसाया था और अब इस फिल्म में ग्रे शेड में नज़र आए हैं. वो बिल्कुल भी कंगना से कमतर नहीं लगे हैं.


इसके अलावा जिम्मी शेरगिल थोड़ी देर के लिए दिखे हैं लेकिन इंप्रेस किया है. अमायरा दस्तूर और अमृता पुरी भी कुछ-कुछ देर के लिए नज़र आईं हैं. फिल्म में बॉबी के ब्वॉयफ्रेंड के किरदार में हुसैन दलाल ने काफी इंटरटेन किया है. उनका रोल बड़ा नहीं है लेकिन यादगार है.


लेखन/डायरेक्शन
फिल्म का स्क्रीनप्ले कनिका ढिल्लन ने लिखा है जो कि शानदार है. पंच लाइनें हंसाती हैं और डायलॉग्स की जुगलबंदी भी कमाल की है. फिल्म में एक डायलॉग है, ''कौन गलत है? कौन सही है? अग्निपरीक्षा तो देनी पड़ेगी. हर युग में दी जाती है...'' ऐसी ही अग्निपरीक्षा बॉबी को भी देनी पड़ती है. एक जगह बॉबी कहती है, ''अब रावण सीता के लिए नहीं आएगा, अब सीता रावण को ढ़ूढेगी और मारेगी.'' ऐसी कुछ लाइने हैं इसमें जिसके लिए कनिका तारीफ की हकदार है.


इसे प्रकाश कोवेलामुदी ने डायरेक्ट किया है जो इससे पहले कई तेलुगू फिल्में बना चुके हैं. फिल्म का फर्स्ट हाफ ऐसा है जिसे देखने में दर्शकों को बहुत मजा आएगा. इसमें मानसिक रोगी का पक्ष भी समझ आएगा, इंटरटेनमेंट भी होता है साथ ही कहानी भी बांधकर रखती है. लेकिन सेकेंड हाफ में कहानी ऐसे मोड़ पर जाती है जिसे समझना हर दर्शक के लिए आसान नहीं है. यहां रामायण 2.0 को बॉबी के किरदार से जोड़ने के लिए जिस तरह फिल्माया गया है, उसकी वजह से फिल्म कमजोर पड़ जाती है और बोर भी करती है.


म्यूजिक
फिल्म में ज्यादा गाने नहीं हैं. जो हैं वो फिल्म खत्म होने तक याद भी नहीं रहते. 'द वखरा' गाने को फिल्म के आखिर में दिखाया जाता है.


क्यों देखें
इसे आप कंगना रनौत की बेहतरीन अदाकारी के लिए देख सकते हैं. उन्होंने इसमें साबित कर दिया है कि वो इंडस्ट्री के उम्दा कलाकारों में सबसे ऊपर हैं. राजकुमार राव भी चौंकाते हैं. इसके अलावा ऐसी कहानियां आमतौर पर देखने को नहीं मिलती हैं. इस वीकेंड आप इसे देख सकते हैं.