Javed Akhtar On Pakistan: राइटर जावेद अख्तर ने हाल ही में पाकिस्तान में जाकर उन्हीं पर निशाना साधा है. उन्होंने कार्यक्रम में याद दिलाया कि 26/11 के आतंकवादी हमलों के अपराधी अभी भी खुले घूम रहे हैं. बता दें कि जावेद अख्तर हाल ही में पाकिस्तान में मशहूर उर्दू शायर फैज अहमद फैज की याद में आयोजित एक समारोह में शामिल होने पहुंचे थे.


एक व्यक्ति ने उनसे पूछा, "आप कई बार पाकिस्तान गए हैं... जब आप वापस जाते हैं तो क्या आप अपने लोगों को बताते हैं कि ये अच्छे लोग हैं, वे न केवल हम पर बमबारी कर रहे हैं बल्कि हमें माला और प्यार से बधाई भी दे रहे हैं?" इसके जवाब में 26/11 के आतंकी हमले को याद करते हुए जावेद अख्तर ने जवाब दिया, "आइए हम एक-दूसरे को दोष न दें. इससे मुद्दों का समाधान नहीं होगा. जो गरम है फिजा, वो कम होनी चाहिए. हम पर हमला हुआ. हम तो बंबई लोग हैं. हमने देखा वहां कैसे हमाला हुआ था. वो लोग नॉर्वे से तो नहीं आए थे ना मिस्र से आए थे, वो लोग अभी भी आपके मुल्क में घूम रहे हैं. तो ये शिकायत अगर हिंदुस्तानी के दिल में हो तो आपको बुरा नहीं मन्ना चाहिए. अभी भी आपके देश में मौजूद हैं, इसलिए अगर कोई भारतीय इस बारे में शिकायत करता है तो आपको नाराज नहीं होना चाहिए.''






उन्होंने सभा को यह भी याद दिलाया कि भले ही नुसरत फतेह अली खान और मेहदी हसन जैसे पाकिस्तानी कलाकारों का भारत में खुले हाथों से स्वागत किया गया हो, लेकिन पाकिस्तान ने कभी भी लता मंगेशकर शो का आयोजन नहीं किया.


जावेद अख्तर ने कहा, “मेहदी हसन भारत में एक संस्कारी हस्ती थे. जब उन्होंने भारत का दौरा किया, तो शबाना आज़मी ने इसकी मेजबानी की, मैंने उस कार्यक्रम के लिए लिखा, जिसमें लता मंगेशकर और आशा भोसले जैसी हस्तियां शामिल थीं. फैज़ साहब जब आते थे तो ऐसा लगता था कि कोई सत्ताधारी आ रहा है... हर तरफ उसका प्रसारण हो रहा था. क्या आपने कभी पीटीवी पर साहिर लुधियानवी, कैफ़ी आज़मी या अली सरदार जाफ़री का इंटरव्यू देखा है? यह भारत में दिखाया गया था, यह वहां हुआ था … इसलिए संचार नाकाबंदी दोनों तरफ से है और शायद आपकी तरफ से ज्यादा है.”


इससे पहले, एक वीडियो में अख्तर को अपनी लाहौर यात्रा के दौरान पाकिस्तानी गायक-अभिनेता अली जफर के संगीत प्रदर्शन का आनंद लेते हुए दिखाया गया था. फैज़ की विरासत का सम्मान करते हुए उन्होंने कहा, "उनके कामों में कुछ जादू था. वे न केवल उर्दू में, बल्कि देवनागरी में भी प्रकाशित और पढ़ी जाती हैं. उनके प्रशंसक पाकिस्तान या भारत तक ही सीमित नहीं हैं.


2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों, जिन्हें 26/11 के हमलों के रूप में भी जाना जाता है, में हमलावरों सहित 175 लोगों की मौत हुई थी. सैकड़ों लोग घायल भी हुए जब आतंकवादियों ने मुंबई में प्रमुख स्थानों पर सुनियोजित तरीके से सिलसिलेवार हमले किए.


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