कहते हैं कि सिनेमा हमारे समाज का ही एक आइना होता है जो कि अपनी कहानियों में असल जिंदगियों से जुड़ी हुई बातें दिखाती हैं. ऐसी ही एक शॉर्ट फिल्म 'फुटलूज' का ट्रेलर रिलीज हुआ है. इस शॉर्ट फिल्म में शर्णार्थियों और अपने ही देश से निकाले गए विस्थापित लोगों के दर्द को बयां करती है.


अपना घर, अपने लोग, अपनी ज़मीन से सभी को मोहब्बत होती है. लेकिन कभी-कभी देश के हालात इतने ख़राब हो जाते हैं कि लोगों को अपना घर-बार छोड़कर दूसरे देशों में बसने के लिए मजबूर होना पड़ता है. चाहे पाकिस्तानी हिंदू हों या रोहिंग्या मुस्लिम दोनों की कहानी एक जैसी है.


इस कहानी को समेटती है डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म 'फुटलूज'. किन परिस्थितियों में पाकिस्तान के हिंदुओं और म्यांमार के रोहिंग्या मुस्लिमों को अपना देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और भारत आने के बाद वे किस हालत में हैं फ़िल्म इसे बहुत संवेदनशीलता के साथ दिखाती है.


डॉक्यूमेंट्री की ख़ास बात यह है कि फ़िल्म न केवल शरणार्थियों के साथ हुए अत्याचारों की बात करती है बल्कि म्यांमार, पाकिस्तान और भारत के इतिहास और बदलते राजनीतिक परिदृश्य को भी बताती चलती है. इससे फ़िल्म में रुचि बनी रहती है. फ़िल्म के कई सारे दृश्य आपको सोचने पर मजबूर कर देते हैं. ख़ासकर जली हुई रोहिंग्या बस्ती में आलमारी पीटते हुए बच्चे का दृश्य.


फ़िल्म में बहुत कम जगहों पर लेकिन सटीक म्यूज़िक का इस्तेमाल हुआ है. हालांकि डॉक्यूमेंट्री के लिहाज से फ़िल्म थोड़ी लम्बी है लेकिन 3 देशों के इतिहास और राजनीतिक परिदृश्य को समेटना भी डायरेक्टर के लिए एक चुनौती रही होगी. कुल मिलाकर कहा जाए तो Footloose एक बेहतरीन डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म है जो मौजूदा समय के लिए बहुत प्रासंगिक है.


फ़िल्म का ट्रेलर यहां देख सकते हैं-