Suchitra Sen Birth Anniversary: 50's में कई एक्ट्रेसेस आईं जो अपनी खूबसूरती के लिए जानी जाती थीं. उनकी एक्टिंग, खूबसूरती और लोकप्रियता इतनी थी कि हर कोई उनका दीवाना हुआ करता था. उनमें से एक थीं बंगाली एक्ट्रेस सुचित्रा सेन जो तब इंडस्ट्री में नई-नई आई थीं. फेमस नॉवेल शरत चंद्र चटोपाध्याय की लिखी उपन्यास 'देवदास' पर पहली बार फिल्म साल 1955 में आई. उसमें पारो का रोल सुचित्रा सेन ने ही किया था और उन्हें इस रोल में काफी पसंद किया गया था.


सुचित्रा सेन ने कई साल हिंदी सिनेमा को दिए और एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया. फिल्मों में उनके अभिनय को भी खूब सराहा गया और लगभग 10 साल पहले सुचित्रा सेन ने दुनिया को अलविदा कह दिया था. फिल्म इंडस्ट्री में उनकी बेटी और नातिनों ने भी काम किया है. चलिए आपको सुचित्रा सेन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें बताते हैं.


सुचित्रा सेन का फैमिली बैकग्राउंड


6 अप्रैल 1931 को ब्रिटिश इंडिया के पबना (अब बांग्लादेश में) में सुचित्रा सेन का जन्म एक बंगाली परिवार में हुआ था. इनका असली और पूरा नाम रोमा दास गुप्ता था, इनके पिता करुणामय दास गुप्ता जो सेनेटरी इंस्पेक्टर थे. सुचित्रा 8 भाई-बहन थे और सभी का ध्यान उनकी मां इंद्रा रखती थीं.




साल 1947 में पार्टिशन के बाद सुचित्रा सेन का पूरा परिवार कोलकाता आकर बस गया. 16 साल की उम्र में सुचित्रा सेन की शादी एक अमीर बिजनेसमैन दिबानाथ सेन के साथ हो गई थी. उनसे सुचित्रा सेन को एक बेटी मुनमुन सेन हुईं जो बंगाली फिल्मों की पॉपुलर एक्ट्रेस रही हैं. साथ ही उन्होंने कुछ हिंदी फिल्मों में भी काम किया है. वहीं मुनमुन सेन की दो बेटियां राइमा सेन और रिया सेन भी एक्ट्रेसेस हैं.


सुचित्रा सेन की पहली हिंदी फिल्म


साल 1952 में आई बंगाली फिल्म शेश कोठाय से सुचित्रा सेन ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी. ये फिल्म बनी लेकिन कभी रिलीज नहीं हुई लेकिन उसी साल उनकी फिल्म शारे चौत्तोर आई जो बॉक्स ऑफिस पर हिट हुई. इस फिल्म में उनके अपोजिट लीड एक्र उत्तम कुमार थे जो उस दौर के बंगाली फिल्मों के सुपरस्टार थे. फिल्म शारे चौत्तोर के बाद एक नई जोड़ी सामने आई जो उत्तम और सुचित्रा की थी.




रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुचित्रा ने करीब 60 बंगाली फिल्में कीं जिनमें से 30 तो उत्तम कुमार के साथ ही की थी और सभी सुपरहिट साबित हुई थीं. कुछ ही सालों में सुचित्रा सेन बंगाली फिल्मों की सुपरस्टार बन गई थीं. साल 1954 के आस-पास राइटर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर एक ऐसा चेहरा ढूंढ रहे थे जो बंगाली जानता हो और खूबसूरत भी हो.


वो अपनी फिल्म देवदास के लिए पारो की तलाश में थे और उनकी वो तलाश सुचित्रा सेन पर खत्म हुई. सुचित्रा सेन को फिल्म देवदास से पहला ब्रेक मिला और 'पारो' के तौर पर उनकी हिंदी सिनेमा में एंट्री हुई. फिल्म देवदास भी सुपरहिट साबित हुई थी.


सुचित्रा सेन की फिल्में


फिल्म देवदास (1955) के बाद सुचित्रा सेन को कई हिंदी फिल्में ऑफर हुईं. जिसमें उस दौर के बड़े-बड़े एक्टर्स के साथ उन्होंने काम किया था. उनमें से एक फिल्म 'बंबई का बाबू' आई जिसमें उनके को-एक्टर देव आनंद थे और ये फिल्म सुपरहिट साबित हुई थी. बॉलीवुड में सुचित्रा सेन ने 'मुसाफिर', 'आशीर्वाद', 'सरहद', 'आंधी', 'ममता' जैसी सफल फिल्में की थीं. सुचित्रा सेन की हिंदी सिनेमा में जोड़ी दिलीप कुमार और संजीव कुमार के साथ ज्यादा पसंद की गई थी.




सुचित्रा सेन का निधन


सुचित्रा सेन ने अपनी लाइफ के करीब 80 साल जिए और वो काफी जिंदादिल इंसान हुआ करती थीं. लेकिन उनके जीवन में कुछ ऐसे पल भी आए जब वो टूट गईं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सुचित्रा सेन की लाइफ में एक ऐसा भी मोड़ आया कि उनके पति से उनकी अनबन हुई और वो उन्हें छोड़कर अमेरिका चले गए और वहीं बिजनेस सेटअप कर लिया था. हालांकि, उनका कभी तलाक नहीं हुआ.


बाद में वहीं उनके पति की डेथ हो गई थी. बेटी की परवरिश सुचित्रा सेन ने की और उम्र के एक पड़ाव पर अकेले रहने लगीं. बताया जाता है कि अंतिम दिनों में वो आध्यात्मिक हो गई थीं और रामकृष्ण मिशन से जुड़कर लोगों की मदद करने लगी थीं. भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से नवाजा था. 17 जनवरी 2014 में सुचित्रा सेन का निधन हो गया था जिसकी वजह हार्ट अटैक बताया जाता है.


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