Madhur Bhandarkar On Boycott Trend: पिछले कुछ समय से लोगों का हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के प्रति गुस्सा काफी बढ़ता जा रहा है. जैसे ही कोई हिंदी फिल्म अनाउंस होती है तो एक्ट्रेस या एक्टर या फिल्म के बायकॉट की मांग होने लगती है. ये कल्चर कोई नया नहीं है, मधुर भंडारकर के अनुसार 2020 में हुई सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद ये ट्रेंड बढ़ गया है. 


हाल ही में मनीष पॉल के पॉडकास्ट शो में पहुंचे फैशन. चांदनी बार, पेज 3 जैसी फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर मधुर भंडारकर ने कई विषयों पर अपनी राय रखी. मधुर भंडारकर ने बताया कि बायकॉट ट्रेंड नया नहीं है. हालांकि सुशांत सिंह की मौत के बाद लोगों का गुस्सा बढ़ गया है.


'दर्शकों का एक छोटा वर्ग फिल्म को बायकॉट करता है'
मधुर भंडारकर (Madhur Bhandarkar) के अनुसार बायकॉट ट्रेंड दर्शकों का एक छोटा वर्ग चलाता है. उन्होंने कहा, 'मैंने देखा है कि यह बायकॉट बड़े पैमाने पर सुशांत सिंह राजपूत की मौत (Sushant Singh Rajput Death) के बाद हुआ. हो सकता है कि इंडस्ट्री ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया हो. वो नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से थे वो आए और उन्होंने स्ट्रगल किया. ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण था और असामयिक मौत थी. वहीं से जनता में गुस्सा और बढ़ गया. ये उनकी अपनी राय है.'


'कॉन्टेंट अच्छा है तो फिल्म देखने जाते हैं लोग'
मधुर भंडारकर ने कहा, 'ऐसा पहले भी कई बार हो चुका है. जैसे 'गंगूबाई काठियावाड़ी' के मामले में, लोगों ने इसे देखा और यह अच्छा रहा. मुझे लगता है कि बायकॉट कल्चर एक चरण है. अगर फिल्म अच्छी है और कॉन्टेन्ट दमदार है तो लोग जाकर देखेंगे. लोगों ने 'कांतारा', 'द कश्मीर फाइल्स', 'भूल भुलैया 2' देखी, ऐसा नहीं है कि लोग फिल्में देखने नहीं जाते हैं.'


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