Master Saleem Unknown Facts: 'हे बेबी' के 'मस्त कलंदर', 'दोस्ताना' के 'मां का लाडला' और 'लव आज कल' के 'आहूं आहूं आहूं' रीमिक्स आदि गानों को अपनी आवाज से सजाने वाले मास्टर सलीम किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. 13 जुलाई 1980 के दिन जालंधर के शाहकोट में जन्मे मास्टर सलीम को सलीम शहजादा के नाम से भी जाना जाता है. बर्थडे स्पेशल में हम आपको मास्टर सलीम की जिंदगी के चंद किस्सों से रूबरू करा रहे हैं. 


बचपन से ही मिला संगीत का स्वाद


म्यूजिक की दुनिया में अच्छा-खासा नाम कमा चुके मास्टर सलीम को संगीत का स्वाद बचपन में ही मिलने लगा था. दरअसल, उनके पिता उस्ताद पूरन शाह कोटी मशहूर सूफी सिंगर हैं, जो लोक गीतकार हंस राज हंस, जसबीर जस्सी, साबर कोटी और दिलजान के साथ भी जुगलबंदी कर चुके हैं. मास्टर सलीम जब महज छह साल के थे, उन्होंने उस वक्त संगीत के सुरों को सीखना और समझना शुरू कर दिया था. 


सात साल की उम्र में दी पहली परफॉर्मेंस


शहजादा सलीम ने पहली परफॉर्मेंस भठिंडा दूरदर्शन की ओपनिंग सेरेमनी के दौरान अपना गाना चरखे दी घूक गाकर दी थी. उस वक्त वह महज सात साल के थे, जिसके बाद उन्हें मास्टर सलीम के नाम से नवाजा गया. इस परफॉर्मेंस के बाद मास्टर सलीम झिलमिल तारे जैसे टीवी शो में परफॉर्म करने लगे. जब वह महज 10 साल के थे, तब उनकी पहली एल्बम चरखे दी घूक रिलीज हुई, जो हिट रही. इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा. 


ऐसा रहा मास्टर सलीम का करियर


फिल्मी दुनिया में मास्टर सलीम के करियर की बात करें तो इसकी शुरुआत साल 1996 में पंजाबी फिल्म तबाही से हुई. इसके बाद उन्होंने कई हिंदी फिल्मों के गानों को अपनी आवाज से सजाया. इनमें देल्ही हाइट्स, हे बेबी, टशन, चमकू, मनी है तो हनी है, दोस्ताना, लव आज कल, तेरे संग, रुस्लान, दिल बोले हड़िप्पा, चांस पे डांस, क्लिक, राइट या रॉन्ग आदि फिल्में शामिल हैं. इनके अलावा वह तेलुगू और कन्नड़ फिल्मों के लिए भी गाने गा चुके हैं. 


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