Anurag Kashyap Unknown Facts: उनका अंदाज अलहदा है, क्योंकि वह हकीकत को बड़े पर्दे पर उतारने का माद्दा रखते हैं. उन्होंने कहानियां इस अंदाज में बयां की हैं कि लोगों ने उन्हें खुद से जोड़ लिया. बात हो रही है बॉलीवुड के बेहतरीन फिल्म डायरेक्टर्स में शुमार अनुराग कश्यप की. 10 सितंबर 1972 के दिन उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जन्मे अनुराग कश्यप कॉलेज के दिनों में थिएटर से ऐसे जुड़े कि सिनेमा को ही अपना सपना बना लिया. बर्थडे स्पेशल में हम आपको अनुराग कश्यप की जिंदगी के चंद पन्नों से रूबरू करा रहे हैं. 


कॉलेज के दिनों में लगा फिल्मों का कीड़ा


बता दें कि अनुराग कश्यप की शुरुआती पढ़ाई-लिखाई देहरादून में हुई, जिसके बाद वह आठ साल की उम्र में ग्वालियर पहुंच गए. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एक जमाने में अनुराग कश्यप वैज्ञानिक बनना चाहते थे, जिसके लिए वह दिल्ली आ गए थे और हंसराज कॉलेज में एडमिशन ले लिया था. उस दौरान वह नुक्कड़ नाटक ग्रुप जन नाट्य मंच के संपर्क में आ गए और नुक्कड़ नाटक करने लगे. बता दें कि अनुराग को उसी दौरान भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में जाने का मौका मिला तो उन्होंने 10 दिन में 55 फिल्में देखीं. उस वक्त ही उन्होंने सिनेमा की दुनिया में कदम रखने का मन बना लिया.


पांच हजार रुपये लेकर मुंबई पहुंचे थे अनुराग


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अनुराग कश्यप साल 1993 के दौरान मुंबई पहुंचे थे. उस वक्त उनके पास महज पांच हजार रुपये थे. धीरे-धीरे अनुराग के पास पैसे खत्म होते चले गए और एक वक्त ऐसा भी आया, जब उन्हें सड़कों पर सोना पड़ा. इस बीच किसी तरह उन्हें पृथ्वी थिएटर में काम मिल गया. वहीं, साल 1998 के दौरान मनोज बाजपेयी ने ही उनकी मुलाकात राम गोपाल वर्मा से कराई थी. 


आज तक रिलीज नहीं हुई पहली फिल्म


बता दें कि अनुराग कश्यप ने सबसे पहले राम गोपाल वर्मा की फिल्म सत्या की स्क्रिप्ट लिखने में मदद की थी. अनुराग की पहली फिल्म की बात करें तो उन्होंने अपने निर्देशन करियर की शुरुआत फिल्म पांच से की थी. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सेंसर बोर्ड की वजह से यह फिल्म रिलीज नहीं हो पाई. इसके बाद अनुराग कश्यप ने मुंबई बम ब्लास्ट पर आधारित फिल्म ब्लैक फ्राइडे बनाई. यह फिल्म हुसैन जैदी की किताब पर आधारित थी.


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