बॉलीवुड सुपरस्टार राज कुमार (Raaj Kumar) का जन्म बलूचिस्तान में हुआ था. कम ही लोगों को पता है कि उनका असली नाम कुलभूषण पंडित था. अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद राज कुमार बंबई में सब इंस्पेक्टर की नौकरी करने लगे. एक बार उस पुलिस स्टेशन में फिल्म निर्माता बलदेव दुबे किसी काम से आए थे, वहां वो राज कुमार के बात करने के अंदाज से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने अपनी अगली फिल्म 'शाही बाजार' के लिए उन्हें ऑफर दे दिया.


राज कुमार भी हीरो बनने के लिए अपनी नौकरी छोड़ बैठे. उसके बाद 1952 में उन्हें फिल्म 'रंगीली' में काम करने का मौका मिला. इस फिल्म के बाद उन्हें जैसे भी किरदार मिलते रहे वो करते रहे. इस बीच राज कुमार ने 'कृष्ण सुदामा', 'घमंड' जैसी कई फिल्मों में काम किया, लेकिन कोई भी सफल नहीं हुई. फिर साल 1957 में आई सुपरहिट फिल्म 'मदर इंडिया' से उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में पहचान मिली.


इसके बाद वो 1959 में फिल्म 'पैगाम' में दिलीप कुमार के साथ दिखाई दिए. इस फिल्म में उनकी लाजवाब अदाकारी को हर किसी ने सराहा. साल 1965 में बीआर चोपड़ा की फिल्म 'वक्त' ने राज कुमार की जिंदगी बदल कर रख दी. इस फिल्म के डायलॉग्स आज भी लोगों को याद हैं. इस फिल्म के बाद राज कुमार ने अपने करियर में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.


राज कुमार ने फिल्म 'वक्त' के बाद 'तिरंगा', 'सौदागर', 'पाक़ीज़ा', 'हीर रांझा', 'नील कमल', 'दिल अपना और प्रीत पराई', 'हमराज़' जैसी कई सुपरहिट फिल्में दीं. राज कुमार की शादी जेनिफर नाम की एक एंग्लो इंडियन लड़की से हुई जो एक एयरहोस्टेस थीं. एक सफर के दौरान राज कुमार, जेनिफर से मिले थे. शादी के बाद जेनिफर ने अपना नाम बदलकर गायत्री रख लिया था.